FPI Investment in August: पिछले दो महीनों के दौरान पैसा लगाने के बाद अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी है। अगस्त में अब तक FPI ने भारतीय इक्विटी से 13400 करोड़ रुपये से अधिक निकाले हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक येन कैरी ट्रेड को खत्म करने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बीच एफपीआई ने यह निकासी की है। हालांकि, डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अब तक एफपीआई ने इक्विटी में 22,134 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।
आगे भी हो सकती है बिकवाली: वी के विजयकुमार
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अगर बाजार में तेजी जारी रहती है तो एफपीआई अधिक बिकवाली कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय इक्विटी बाजार का मूल्यांकन तुलनात्मक रूप से ऊंचा बना हुआ है। आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने (1-9 अगस्त) अब तक इक्विटी से 13431 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। विजयकुमार ने कहा कि बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरें 0.25 फीसदी तक बढ़ाने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के बाद येन कैरी ट्रेड बंद होने से अगस्त में निकासी हुई है।
जून-जुलाई में FPI ने की थी खरीदारी
इसके पहले जुलाई में आर्थिक वृद्धि मजबूत बने रहने की उम्मीद, सुधारों का सिलसिला जारी रहने और उम्मीद से बेहतर कंपनी नतीजों के असर में 32,365 करोड़ रुपये का एफपीआई निवेश आया था। जून में भी राजनीतिक स्थिरता कायम रहने और बाजारों में तेज उछाल के कारण 26,565 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया था।
हालांकि इससे पहले मई में एफपीआई ने चुनावी झटकों के कारण 25,586 करोड़ रुपये और अप्रैल में मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार वृद्धि की चिंताओं के कारण 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
FPI पर एक्सपर्ट्स की राय
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के सह निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने, खासकर इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण यह और भी बढ़ गया। इसकी वजह से भी विदेशी निवेशकों ने अपने जोखिम को कम कर दिया। इसके अलावा, भारतीय बाजारों के अधिक वैल्यूएशन को देखते हुए विदेशी निवेशक मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित हुए। श्रीवास्तव ने कहा कि कमजोर रोजगार आंकड़ों से अमेरिका में मंदी की आशंका के जोर पकड़ने और ब्याज दरों में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता जैसे कारकों से भी भारतीय बाजार से निकासी हुई।
एफपीआई 31 जुलाई को समाप्त 15 दिनों में फाइनेंशियल सर्विसेज शेयरों में लगातार बिकवाली कर रहे थे। हालांकि, इस दौरान उन्होंने IT, ऑटो, कैपिटल गुड्स और मेटल में खरीदारी की। दूसरी ओर, एफपीआई ने अगस्त में अब तक डेट मार्केट में 6,261 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे वर्ष पहले 2024 में यह आंकड़ा 97,249 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।