अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट से भारत में पहले जनवरी 2023 में तहलका मचाया था और अब एक बार फिर धड़कनें बढ़ा दी हैं। इस बार टारगेट सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच हैं, जिन्हें लेकर व्हिसलब्लोअर डॉक्युमेंट के आधार पर रिपोर्ट में बड़े खुलासे किए गए हैं। लेकिन साथ ही इससे एक बार फिर अदाणी ग्रुप के लिए हिंडनबर्ग का भूत जाग गया है क्योंकि बुच दंपति पर लगाए गए आरोप तथाकथित अदाणी घोटाले से जुड़े हैं।
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि सेबी चेयरपर्सन बुच और उनके पति धवल बुच के पास उन दोनों अस्पष्ट विदेशी कोषों यानि ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी है, जिसका इस्तेमाल अदाणी समूह में कथित पैसों की हेराफेरी को में किया गया। आरोप है कि अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी अस्पष्ट विदेशी कोष बरमूडा और मॉरीशस कोषों को नियंत्रित करते थे। इन कोषों का इस्तेमाल पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था।
पिछली रिपोर्ट से अदाणी कंपनियों के शेयरों में आई थी तगड़ी गिरावट
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को ‘अदाणी ग्रुप: हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट कदाचार और शेयर-कीमत में हेरफेर का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के आने के बाद अदाणी एंटरप्राइजेज समेत अदाणी ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयरों में तगड़ी गिरावट आई। सबसे ज्यादा अदाणी टोटल गैस लुढ़का।
24 जनवरी, 2023 से 24 फरवरी, 2023 की अवधि के दौरान अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों में लगभग 62 प्रतिशत की गिरावट आई और कीमत बीएसई के डेटा के मुताबिक, 3442.75 रुपये से 1314.75 रुपये प्रति शेयर तक लुढ़क गई। निवेशकों को 30 अरब डॉलर से ज्यादा का घाटा हुआ। ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ रेगुलेटरी जांच भी शुरू हुई। मई 2024 में ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट दी कि अदाणी समूह की ओर से कर्ज में कटौती और बड़े प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद हिंडनबर्ग रिपोर्ट से हुए पूरे घाटे की भरपाई हो गई है। बता दें कि अदाणी समूह बार-बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन करता रहा है।
अदाणी ग्रुप की 10 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद एक वक्त ऐसा आया, जब अदाणी ग्रुप की सभी कंपनियों को मिलाकर ग्रुप की कुल मार्केट वैल्यू में 150 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट आई। शेयरों में आई गिरावट की वजह से गौतम अदाणी की नेटवर्थ को भी झटका लगा था।
कब शुरू हुई रिकवरी
अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में रिकवरी का पहला चरण पिछले साल मार्च में देखा गया। उस वक्त उभरते बाजार निवेशक राजीव जैन की GQG Partners ने अदाणी फैमिली ट्रस्ट से ग्रुप की 4 कंपनियों में लगभग 2 अरब डॉलर के शेयर खरीदे थे। इन 4 कंपनियों में अदाणी एंटरप्राइजेज भी शामिल थी। जैन ने पूरे 2023 के दौरान अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। समूह ने कतर इनवेस्टमेंट अथॉरिटी और संयुक्त अरब अमीरात स्थित इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी से भी निवेश आकर्षित किया।
इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अदाणी समूह को सेबी की मौजूदा जांच से परे किसी भी अन्य जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे समूह को राहत मिली। कोर्ट ने हिंडनबर्ग के दावों के बावजूद ऑफशोर फंड के लिए खुलासा नियमों को बदलने के खिलाफ भी फैसला सुनाया।
क्या शेयरों को फिर लगने वाला है तगड़ा झटका?
हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, “IIFL में एक प्रमुख के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत ‘वेतन’ है और बुच दंपति की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।” रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है, “दस्तावेजों से पता चलता है कि हजारों अच्छे साख वाले भारतीय म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट्स के होने के बावजूद, सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति ने कम एसेट्स के साथ एक बहुस्तरीय विदेशी कोष में हिस्सेदारी ली थी। इसकी देखरेख घोटाले से कथित तौर पर जुड़ी एक कंपनी करती थी। यह वही इकाई है, जिसे अदाणी के निदेशक चलाते थे और विनोद अदाणी ने कथित अदाणी नकदी हेरफेर घोटाले में महत्वपूर्ण रूप से इस्तेमाल किया था।” बता दें कि ऐसे फंड जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, उन्हें ऑफशोर फंड या विदेशी कोष कहते हैं।
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट और उसमें एक बार फिर अदाणी समूह में कथित पैसों की हेराफेरी का जिक्र होने से ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट का डर सताने लगा है। अगर ऐसा हुआ तो निवेशकों को एक बार फिर बड़ा नुकसान झेलना होगा। नई रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर लगाए गए आरोपों से सेबी की निष्पक्षता और उसकी साख पर सवाल खड़े होने का भी डर है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश अपने रिएक्शन में सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कह चुके हैं कि ‘चौकीदार की चौकीदारी कौन करेगा।’ समाजवादी पार्टी ने माधबी बुच के इस्तीफे की मांग कर दी है। अब ऐसे में सोमवार, 12 अगस्त को शेयर बाजार का ऊंट किस करवट बैठेगा, इस पर पार्टिसिपेंट्स की पैनी नजर रहेगी।