शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच म्यूचुअल फंड्स और फॉरेन इंस्टीट्यूशन इनवेस्टर्स (FIIs) जैसे बड़े निवेशक किन शेयरों पर दांव लगा रहे हैं और किससे बच रहे हैं? ये जानने के लिए हमने कंपनियों की जून तिमाही तक के शेयरहोल्डिंग आंकड़ों की पड़ताल की। ताकि हम समझ सकें कि विदेशी और घरेलू म्यूचुअल फंड्स और FIIs किन सेक्टर्स में निवेश कर रहे है और किनसे दूरी बना रहे हैं।
सबसे पहले जानते हैं कि निवेशक किन सेक्टर्स से दूर भाग रहे हैं। ऐसा कोई भी सेक्टर जिसमें ग्लोबल रिस्क है, फिलहाल घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशक, दोनों इनमें निवेश करने से बच रहे हैं। इसमें एनर्जी, मेटल और आईटी सेक्टर मुख्य हैं। दोनों निवेशक ने अपना निवेश इन सेक्टर में घटाया है। उनका मानना है कि अमेरिका में मंदी या पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से इन सेक्टर्स पर असर पड़ सकता है। दूसरी ओर वे घरेलू मांग से जुड़े सेक्टर्स पर बड़ा दांव लगा रहे हैं। इसमें कंज्यूमर गुड्स, इंडस्ट्रियल, टेलीकम्युनिकेशंस, मैटेरियल और रियल एस्टेट सेक्टर मुख्य हैं।
हालांकि बैंकिंग सेक्टर को लेकर विदेशी और घरेलू निवेशक का नजरिया अलग-अलग है। विदेशी निवेशकों बैंकिंग में खूब निवेश कर रहे हैं। HDFC बैंक के मर्जर के बाद उनका वेटेज बढ़ा है। साथ ही वह कई बैकिंग स्टॉक्स पर बुलिश भी हैं। दूसरी ओर, घरेलू निवेशक बैंकिंग में कम निवेश कर रहे हैं और ‘वेट एंड वॉच’ के मोड में दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि ऑटोमोबाइल्स और ऑटो-एंसीलियरीज सेक्टर पर घरेलू संस्थागत काफी बुलिश नजर आ रहे हैं क्योंकि ऑटो इंडस्ट्री में मांग बढ़ रही है। लेकिन दूसरी ओर विदेशी निवेश कई सारी चिंताओं के चलते इस सेक्टर्स से दूर हैं। खासतौर से वह क्लाइमेंट चेंज से जुड़े मुद्दों के चलते पारंपरिक फ्यूल इंजन बनाने वाली कंपनियों से दूरी बना रहे हैं।
कंज्यूमर स्टेपल्स सेगमेंट के वैल्यूएशन को तो विदेशी और घरेलू दोनों निवेशकों ने महंगा बताया है। आमतौर पर मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच इस सेक्टर्स की मांग बढ़ जाती है और निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में इनकी ओर रुख करते हैं। हालांकि इस बार दोनों निवेशक कंज्यूमर स्टेपल्स की ओर नहीं देख रहे हैं। यहां तक यूटिलिटी सेक्टर पर भी विदेशी निवेशक हैं न्यूट्रल । वहीं घरेलू निवेशकों ने अपना निवेश इसमें कम किया है।
घरेलू निवेशक इस समय इंडस्ट्रियल सेक्टर को लेकर काफी पॉजिटिव है और उनका मानना है कि इन सेक्टर में निवेश के चलते ग्रोथ देखने को मिल सकता है। कई कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में उन्हें असमान्य ग्रोथ की उम्मीद है। इसके अलावा फार्मा सेक्टर के वैल्यूएशन को लेकर भी घरेलू निवेशक पॉजिटिव है। विदेशी निवेशकों का भी रुझान फार्मा सेक्टर में बना हुआ है। वैसे भी फार्मा को एवरग्रीन सेक्टर माना जाता है।
हालांकि इस बीच रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर विदेशी और घरेलू निवेशकों की काफी अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। विदेशी निवेशक इस सेक्टर काफी बुलिश है और वे रियल एस्टेट सेक्टर में अधिक निवेश कर रहे हैं। हालांकि घरेलू निवेशक इस सेक्टर को 2008 से जैसे किसी संकट के चलते लेकर सतर्क हैं।