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Kotak Mahindra Bank के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को क्यों मजबूर हुआ RBI?

पिछले कुछ महीनों में कई एनबीएफसी RBI के रडार पर रहे हैं। अब इनमें एक बड़े प्राइवेट बैंक का नाम जुड़ गया है। केंद्रीय बैंक ने Kotak Mahindra Bank की कुछ सेवाओं पर रोक लगा दी है। आरबीआई ने कहा है कि कोटक बैंक ने बार-बार कहने के बाद भी अपने डिजिटल ऑपरेशंस से जुड़ी कमियां दूर नहीं की। इस वजह से उसके खिलाफ सख्त कदम उठाया गया है। RBI ने अपने आदेश में क्या कहा है, यह पूरा मामला क्या है, इसका कोटक महिंद्रा बैंक के ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?

कुछ सेवाएं तुरंत रोकने का आदेश

RBI ने कोटक महिंद्रा बैंक को तुरंत प्रभाव से ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग चैनल्स के जरिए नए ग्राहक नहीं बनाने को कहा है। इसके अलावा बैंक को नए क्रेडिट कार्ड्स जारी नहीं करने को भी कहा गया है। पिछले तीन सालों में RBI के रुख में बदलाव आया है। अब केंद्रीय बैंक नॉन-कंप्लायंस पर सख्त कदम उठा रहा है। वह बैंकों और एनबीएफसी की सेवाओं पर रोक लगा रहा है। पहले वह ऐसे मामलों में पेनाल्टी लगाता था।

 

बिजनेस ग्रोथ के कोटक के प्लान को झटका

अब RBI सेवाओं पर रोक लगा कर नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों को सख्त संदेश देना चाहता है। सेवाओं पर रोक का सीधा असर बैंक की ग्रोथ पर पड़ता है। कोटक महिंद्रा बैंक क्रेडिट कार्ड बिजनेस में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता था। इसके जरिए उसका फोकस बिजनेस की ग्रोथ पर था। RBI की कार्रवाई के बाद उसे बड़ा झटका लगा है। कोटक महिंद्रा बैंक से पहले केंद्रीय बैंक ने पिछले कुछ महीनों में कई एनबीएफसी के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं।

RBI के ज्यादा सख्ती बरतने की क्या है वजह?

सवाल है कि RBI का रुख अचानक इतना सख्त क्यों हो गया है? इसकी एक वजह तो यह है कि पेनाल्टी लगाने का ज्यादा असर बैंकों पर दिख नहीं रहा था। सिर्फ पेनाल्टी लगाने से बैंकों के प्रॉफिट पर बहुत ज्यादा चोट नहीं पहुंचती है। उदाहरण के लिए KYC के नियमों के उल्लंघन पर 5 करोड़ रुपये से कम पेनाल्टी का प्रावधान है। बड़े बैंकों का तिमाही प्रॉफिट इस पेनाल्टी का कई गुना होता है। इसलिए बैंक पेनाल्टी की ज्यादा परवाह नहीं करते। हालांकि, पेनाल्टी का असर शेयरहोल्डर्स की वैल्यू पर पड़ता है। भले ही यह असर ज्यादा नहीं हो।

क्या केंद्रीय बैंक की कार्रवाई एकतरफा है?

RBI कामकाज से जुड़ी गड़बड़ियां ठीक करने में बैंकों की लापरवाही बरतने के बारे में पहले भी बता चुका है। फरवरी में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि बैंकों के खिलाफ कड़े प्रतिबंध उनके साथ व्यापक बातचीत के बाद ही लगाए जाते हैं। इसलिए केंद्रीय बैंक की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों को एकतरफा कार्रवाई के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

RBI कोटक बैंक को कमियां दूर करने को कह चुका था

शक्तिकांत दास ने कहा था, “हमारी तरफ से लगाए गए सख्त प्रतिबंध मामले की गंभीरता के हिसाब से लगाए जाते हैं।” कोटक महिंद्रा बैंक के बारे में भी RBI के सर्कुलर में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक कोटक के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर 2022 और 2023 से नजर रख रहा था। कोटक के उम्मीद के मुताबिक अपनी कमियां दूर करने की कोशिश नहीं करने के बाद सेवाओं पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है।

क्या दूसरे देशों में भी रेगुलेटर्स उठाते हैं सख्त कदम?

दुनियाभर में पेनाल्टी और जुर्माना लगाने का ज्यादा असर बैंकों पर देखने को नहीं मिला है। अमेरिकी बैंकिंग नियामक फेडरल रिजर्व नियमों के उल्लंघन पर बैंकों पर हर बार अरबों डॉलर का जुर्माना लगता रहा है। सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन (SEC) भी इस तरह के कदम उठाता रहा है। यूरोप में भी रेगुलेटर्स की तरफ से ज्यादातर जुर्माना लगाए जाते हैं। ऐसे कई मामले हैं, जब बैंक पर कई बार जुर्माना लगाया गया। यह इस बात का संकेत हैं कि बैंक प्रॉब्लम को ठीक करने के लिए कुछ नहीं करते।

सेवाओं पर रोक लगने से ग्राहकों पर भी पड़ता है असर

दूसरे देशों में बिजनेस पर रोक लगाई जाती है। लेकिन, ऐसा कम ही किया जाता है। बिजनेस या सेवाओं पर रोक लगाने का असर न सिर्फ शेयरहोल्डर्स बल्कि बैंक के ग्राहकों पर भी पड़ता है। नए ग्राहक अपना रास्ता बदल लेते हैं। मौजदा ग्राहक बैंक के कामकाज पर संदेह करने लगते हैं। इससे बैंक को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बिजनेस पर रोक नियमों के गंभीर उल्लंघन के मामलों में ही लगाया जाना चाहिए।

कोटक बैंक के स्टॉक्स लुढ़के

RBI का कार्रवाई का सीधा असर 25 अप्रैल को कोटक महिंद्रा बैंक के स्टॉक पर पड़ा। मार्केट ओपन होते ही बैंक के शेयर काफी दबाव में आ गए। एक समय स्टॉक 11 फीसदी से ज्यादा गिर गए थे। 1:13 बजे बैंक का शेयर 10.86 फीसदी लुढ़क कर 1,642 रुपये पर चल रहा था।

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