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FPIs ने सोमवार की अफरातफरी में बेच दिए ₹10,000 करोड़ के शेयर, 4 जून के बाद की सबसे बड़ी बिकवाली

FPI Selling: ग्लोबल उथलपुथल के बीच सोमवार 5 अगस्त को जब भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई, तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने एक झटके में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेच दिए। यह 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उनकी ओर से एक दिन में की गई सबसे अधिक बिकवाली थी। साथ ही यह किसी एक दिन में FPI की ओर से की गई अबतक की तीसरी सबसे बड़ी बिकवाली है। NSE पर मौजूद प्रोविजन आंकड़ों के मुताबिक, FPI ने 5 अगस्त को भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 10,074 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।

इससे पहले 4 जून को उन्होंने शुद्ध रूप से 12,436.22 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। हालांकि इससे पहले पिछले 2 महीनों से FPI भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध खरीदार थे, लेकिन अगस्त महीने में अबतक वे नेट सेलर्स रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर FPI के रुख में उतार-चढ़ाव जारी है, वहीं दूसरी ओर घरेलू म्यूचुअल फंड कंपनियों और रिटेल निवेशकों की ओर से लगातार आक्रामक खरीदारी देखी जा रही है। सोमवार को घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 9,156 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इसके चलते DII और FII के स्वामित्व के बीच का अंतर रिकॉर्ड स्तर तक कम हो गया है।

मनीकंट्रोल ने पहले बताया था कि NSE पर सूचीबद्ध कंपनियों में FPI की हिस्सेदारी जून तिमाही के अंत में 12 साल के निचले स्तर 17.38 प्रतिशत पर आ गई, जो मार्च में 17.72% थी। वहीं DII की इस दौरान बढ़कर 16.23 प्रतिशत पर पहुंचा गई। प्राइम इंफोबेस के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू म्यूचुअल फंडों की कुल हिस्सेदारी भी जून तिमाही के अंत में 9.52 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई।

इस बदलाव ने भारतीय शेयर बाजार में FPI और DII की हिस्सेदारी के बीच के अंतर को अभूतपूर्व रूप से कम करके मात्र 1.15% अंक पर ला दिया है। हालांकि एक्सपर्ट्स को FPI के भारतीय शेयरों पर काफी हद तक पॉजिटिव बने रहने की उम्मीद है और उनका झुकाव लार्जकैप की ओर रहेगा। फिसडम के नीरव करकेरा ने कहा कि अगर हम भारतीय शेयरों में FII की जल्द ही फिर से वापसी देखते हैं तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी

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