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₹40000 करोड़ कर्ज में अनिल अंबानी की कंपनी, अब बिकने में देरी क्यों, समझें

 

अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल की बिक्री की प्रक्रिया में देरी होती जा रही है। बीते दिनों हिंदुजा समूह की इकाई इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने इस कंपनी का अधिग्रहण किया था लेकिन यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। अब रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं ने इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स को सुधारात्मक कार्रवाई के प्रति चेतावनी दी है क्योंकि वह एनसीएलटी द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करने में विफल रही है।

शर्तों के साथ मिली है मोहलत

दरअसल, रिलायंस कैपिटल के लिए सफल बोलीदाता इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई द्वारा कुछ शर्तों के साथ 10 अगस्त तक विस्तार दिया गया है। इन शर्तों में 31 जुलाई तक घरेलू एस्क्रो खाते में 250 करोड़ रुपये की प्रारंभिक इक्विटी राशि और ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के एस्क्रो खाते में 2,500 करोड़ रुपये जमा करना शामिल था। इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स 31 जुलाई की समय सीमा को पूरा करने में विफल रहा।

40000 करोड़ रुपये का कर्ज

रिजर्व बैंक ने नवंबर, 2021 में अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को भुगतान चूक एवं कामकाज में गड़बड़ी के आरोप में बर्खास्त कर दिया था। इसके अलावा नागेश्वर राव वाई को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया गया था। रिलायंस कैपिटल पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था और दिवाला कार्यवाही के तहत चार आवेदकों ने शुरुआती दौर में समाधान योजनाओं के साथ बोली लगाई थी। हालांकि, ऋणदाताओं की समिति ने कम बोली मूल्यों वाली इन सभी योजनाओं को खारिज कर दिया और नीलामी का दूसरा दौर आयोजित किया था। इसमें इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने जीत हासिल की।

बता दें कि अनिल अंबानी की फैमिली रिलायंस कैपिटल के प्रमोटर्स हैं। इसके अलावा रिलायंस की अलग-अलग कंपनियां भी प्रमोटर ग्रुप में शामिल हैं

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