देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस को कथित टैक्स चोरी मामले में बड़ी राहत मिली है। दरअसल, कर्नाटक सरकार ने नोटिस वापस ले लिया है। गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इंफोसिस ने बताया कि कंपनी को कर्नाटक राज्य के अधिकारियों से एक मैसेज प्राप्त हुआ है। इसमें पहले के भेजे गए कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया गया है।
क्या है मामला
दरअसल, जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक (डीजीजीआई) की बेंगलुरु इकाई की ओर से 32000 करोड़ रुपये के टैक्स चोरी को लेकर नोटिस जारी किया गया था। जीएसटी अधिकारियों ने इंफोसिस के विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्चों के लिए जुलाई 2017 से मार्च 2022 की अवधि के लिए 32,403 करोड़ रुपये के जीएसटी के भुगतान के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। डीजीजीआई के मुताबिक इंफोसिस को रिजर्व चार्ज मैकेनिज्म के तहत जीएसटी का भुगतान करना है। इसके तहत सेवा प्राप्तकर्ता को लेवी का भुगतान करना होता है। अधिकांश आईटी कंपनियों ने विदेशों में शाखाएं स्थापित कर ली हैं, जहां कंपनी स्थानीय कानूनों के अनुसार परियोजनाएं चलाती है।
इंफोसिस ने दी सफाई
इंफोसिस ने टैक्स चोरी से साफ इनकार किया और कहा कि कंपनी ने अपने सभी जीएसटी बकाए का भुगतान कर दिया है और इस मामले में केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है। कंपनी ने कहा कि जीएसटी भुगतान आईटी सेवाओं के निर्यात के विरुद्ध क्रेडिट या रिफंड के लिए है न कि इंफोसिस के विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्चों पर। इंफोसिस ने कहा कि उसने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है।
नैसकॉम ने किया इंफोसिस का समर्थन
आईटी कंपनियों का शीर्ष संगठन नैसकॉम इंफोसिस के समर्थन में खुलकर सामने आया। उसने कंपनी को जीएसटी नोटिस भेजे जाने पर कहा कि यह कदम उद्योग के परिचालन मॉडल से जुड़ी समझ की कमी को दर्शाता है। नैसकॉम ने दलील दी है कि जीएसटी अधिकारी ऐसे मामलों में कंपनी के भारतीय मुख्यालय द्वारा अपनी विदेशी शाखाओं को भेजे गए धन पर नोटिस जारी कर रहे हैं। लेकिन अधिकारी इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं कि यह शाखा से मुख्यालय द्वारा ‘सेवा के आयात’ का मामला नहीं है।