वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ओला इलेक्ट्रिक की इंपोर्ट (चीन से होने वाली) कॉस्ट काफी बढ़ गई। हालांकि, उसे भारत सरकार से फाइनेंशियल इंसेंटिव भी मिला, जिसका मकसद इलेक्ट्रिक गाड़ियों और बैटरी सेल की स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। कंपनी के रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 के दौरान कंपनी द्वारा इस्तेमाल की गई कुल सामग्री में चीन के इंपोर्ट की कॉस्ट की हिस्सेदारी बढ़कर 37 पर्सेंट हो गई, जबकि इससे पिछले साल में यह हिस्सेदारी 19 पर्सेंट थी। इससे साफ है कि बेंगलुरु की यह इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी अहम कच्चे माल के लिए पड़ोसी देश के सप्लायर्स पर निर्भर है।
वित्त वर्ष 2024 में कंपनी द्वारा इस्तेमाल की गई सामग्री की कुल कॉस्ट 4,390 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले 75 पर्सेंट ज्यादा है। इसमें चाइनीज इंपोर्ट की हिस्सेदारी 1,624 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2024 में ओला इलेक्ट्रिक की इंपोर्टेड सप्लाई कंपनी की कुल मैटीरियल कॉस्ट का 37.03 प्रतिशत थी, जबकि डोमेस्टिक सप्लाई की हिस्सेदारी 62.97 पर्सेंट थी।
कंपनी का 6,145.96 करोड़ रुपये का IPO 2 अगस्त को खुलेगा। प्रोडक्शन क्षमता में बढ़ोतरी और लिथियमाइन सेल्स, मैगनेट, एंप्लीफायर और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का प्रोक्योरमेंट बढ़ने से इंपोर्ट कॉस्ट ज्यादा हो गई है। कंपनी ने न सिर्फ चीन बल्कि सिंगापुर, साउथ कोरिया, थाइलैंड और मलेशिया से भी मटीरियल इंपोर्ट किया है। हालांकि, रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स के मुताबिक, कंपनी साउथ कोरिया, मेलशिया और थाइलैंड से अपने इंपोर्ट कम कर रही है।
वित्त वर्ष 2023 में साउथ कोरिया से फर्म की इंपोर्ट कॉस्ट तकरीबन 11.65 पर्सेंट थी, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 0.01 पर्सेंट पर पहुंच गया। इसी8 तरह, पिछले साल मलेशिया की कॉस्ट 0.08 पर्सेंट से घटकर 0.02 पर्सेंट हो गई। चाइनीज इंपोर्ट में बढ़ोतरी से पता चलता है कि कंपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़े कच्चे माल के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है। इसमें लिथियम भी प्रमुख है, जिसका इस्तेमाल बैटरी प्रोडक्शन में किया जाता है।