म्यूचुअल फंडों पर भी सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग के नियम लागू होंगे। इसका मतलब यह है कि म्यूचुअल फंड हाउस के सीनियर एंप्लॉयीज के पास अगर कोई ऐसी जानकारी पब्लिक होने से पहले आती है, जिसका असर म्यूचुअल फंड हाउस या उसकी स्कीम पर पड़ सकता है तो वे (सीनियर एंप्लॉयीज) अपने फंड हाउस की स्कीम में अपने निवेश को नहीं बेच सकेंगे। सेबी के इसाइडर ट्रेडिंग के नियम 1 नवंबर, 2024 से म्यूचुअल फंडों पर भी लागू हो जाएंगे।
सेबी के इस कदम से म्यूचुअल फंडों के निवेशकों के हितों की सुरक्षा होगी। हाल में ऐसे कुछ मामले आए हैं, जिसमें देखा गया कि फंड मैनेजर्स के खराब फैसले या किसी वजह से म्यूचुअल फंड स्कीम की NAV में तेजी गिरावट आई। लेकिन, कुछ सीनियर एंप्लॉयीज में एनएवी गिरने से पहले ही स्कीम से अपने पैसे निकाल लिए थे। सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों का दायरा भी बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि इसके तहत अब पहले से ज्यादा लोग आएंगे।
म्यूचुअल फंडों पर इनसाइडर ट्रेडिंग के नियम लागू होने के बाद न सिर्फ म्यूचुअल फंडों के सीनियर ऑफिसर्स बल्कि फंड हाउस से जुड़े अंदर या बाहर के लोग ऐसी जानकारी होने पर स्कीम में अपनी यूनिट्स नहीं बेच सकेंगे, जिसका असर स्कीम की एनएवी पर पड़ सकता है। सेबी ने इस बारे में एक कंस्लटेशन पेपर जुलाई 2022 में जारी किया था। इसकी कई सिफारिशों को मान लिया गया है।
सेबी ने इस नियम के लागू होने से पहले इनसाइडर की परिभाषा स्पष्ट कर दी है। इसमें कहा गया है कि इसाइडर वह कनेक्टेड व्यक्ति है जिसके पास कीमतों पर असर डालने वाली संवेदनशील इंफॉर्मेशन है या ऐसी जानकारी है जो आम लोगों के पास नहीं और जो स्कीम की एनएवी या यूनिटहोल्डर्स के हितों पर असर डाल सकती हैं। यह कनेक्टेड व्यक्ति फंड हाउस का एंप्लॉयी हो सकता है या उसके बोर्ड का सदस्य हो सकता है। फंड से जुड़ा ऑडिटर, लीगल एडवाइजर और कंसल्टेंट भी कनेक्टेड व्यक्ति माना जाएगा।
सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों को SEBI PIT रेगुलेशन कहा जाता है। इसमें पहले से म्यूचुअल फंड जैसे मार्केट इंटरमीडियरी को पब्लिश नहीं हुईं इंफॉर्मेशन के आधार शेयरों और बॉन्ड्स में ट्रेडिंग नहीं करने की इजाजत है। लेकिन, ये ज्यादातर ऐसे स्टॉक्स तक सीमित हैं क्योंकि यह माना गया कि खराब खबरों का असर सिर्फ शेयरों पर पड़ सकता है। ऐसे में वे लोग अपने शेयरों को बेचकर निकल सकते हैं।