ITR Filing: अगर किसी टैक्सपेयर ने कर छूट या रिफंड पाने के लिए ITR में फर्जी अथवा बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए हैं तो उसके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। आयकर विभाग का कहना है कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें करदाताओं ने ऐसे कारनामे किए हैं। विभाग ने चेताया है कि ऐसा करना दंडनीय अपराध है और करदाताओं को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। विभाग ऐसे दावों की तकनीक के माध्यम से जांच करता है। इस दौरान अक्सर रिफंड पाने में भी देरी हो जाती है।
सही होना चाहिए छूट का दावा
आयकर विभाग ने करदाताओं को सलाह दी है कि आईटीआर फॉर्म में जो कर छूट/कटौती या रिफंड का दावा किया जा रहा है, वह वास्तविक होने चाहिए। साथ ही इनके प्रमाणिक दस्तावेज भी करदाता के पास जरूर होने चाहिए। विभाग जांच के दौरान कभी भी इनकी मांग कर सकता है। अगर दावा फर्जी निकलता है तो इस कदम को कर चोरी में शामिल किया जा सकता है। कर चोरी की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर करदाता के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
छूट या रिफंड पाने के 4 जुगाड़
1. मकान किराए की फर्जी रसीद
कई करदाता एचआरए के जरिए कर छूट पाने के लिए मकान किराए की फर्जी रसीद का इस्तेमाल करते हैं। आयकर विभाग के लिए इस तरह के मामलों को पकड़ना अब बेहद आसान हो गया है। वह एआई आधरित तकनीक और एआईएस फॉर्म का इस्तेमाल कर इस दावे की पड़ताल करता है। नियमों के मुताबिक, एक लाख रुपये से अधिक का एचआरए क्लेम करते वक्त मकान मालिक का पैन कार्ड देना अनिवार्य है। अगर मकान मालिक ने किराए की रकम को अपने आईटीआर में नहीं दिखाया है तो तब दावा करने वाले को नोटिस जारी किया जाता है।
2. दान की फर्जी रसीद
कई करदाता दान की फर्जी रसीद लगाकर कर छूट प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। सर्वाधिक दान रसीद एनजीओ और धर्म के नाम पर बनी संस्थाओं के नाम पर दिखाई जाती है। ऐसे मामलों पर भी विभाग सख्ती कर रहा है। विभाग दान के दावों, खासकर धार्मिक संस्थानों को किए गए दान के दावों की बारीकी से जांच कर रहा है। विभाग ने इसी साल अप्रैल में 8,000 करदाताओं को दान के बहाने गलत जानकारी देने के लिए नोटिस जारी किए किए थे। नियमों के अनुसार, केवल विशिष्ट आईडी वाले धार्मिक ट्रस्ट और अन्य गैर-लाभकारी संस्थाओं को किया गया दान ही धारा-80जी के तहत कटौती का पात्र है।
3. खर्च राशि को बढ़ा-चढ़ाकर बताना
आयकर विभाग के अनुसार, कई लोग ऐसे खर्चे दिखाकर कर छूट लेने की कोशिश कर रहे हैं, जो असल में उन्होंने किए ही नहीं हैं। इसमें परिवार के वरिष्ठों की बीमारी के नाम पर किया गया और वरिष्ठ परिजन के नाम पर किए जाने वाले खर्च शामिल है। इसके तहत 40 से 50 हजार रुपये तक कर छूट दावा किया जा सकता है। यह विभाग के लिए यह पता लगाना मुश्किल भरा होता है कि क्या वाकई यह रकम खर्च हुई। विभाग ने लोगों को आगाह किया है कि ऐसा ना करें।
4. इनकम को कम बताना
कई मामलों में रिटर्न दाखिल करने वाले लोग अपनी आय के बारे में गलत जानकारी दे रहे हैं। इससे उनकी कर देयता कम हो जाती है। कुछ मामलों में तो लोगों का पूरा कर माफ हो जाता है। कई बार नौकरीपेशा लोग अन्य स्रोतों से हुई कमाई को नहीं दिखाते और बाद में जब जांच होती है तो अतिरिक्त टैक्स देनदारी बन जाती है।
इन मदों में भी ली जा रही फर्जी छूट
1. किराया छूट : यह धारा 10 (14) में ली जाती है। इसमें भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा। करदता अपनी कुल आमदनी का दस फीसदी से भी अधिक छूट में क्लेम कर रहे हैं।
2. बीमारी : परिवार के वरिष्ठों की बीमारी के नाम पर धारा 80 डीडीबी की छूट ली जा रही है। इसमें अधिकतर करदाता 40 हजार रुपये तक की छूट क्लेम करके अपनी कुल आय कम कर रहे।
3. एजुकेशन लोन : इसके नाम पर धारा 80 ईई में छूट बड़े पैमाने पर ली जा रही है। करदाता को इस छूट से अपनी आय को कम करने में मदद मिलती है।
4. ट्यूशन फीस : धारा 80 सी में डेढ़ लाख रुपये तक की छूट ली जा सकती है। लोग स्कूल की पूरी फीस को ही इस कॉलम में दिखा कर अपना फायदा कर रहे हैं।
5. होम लोन : इसके ब्याज के नाम छूट में भी बड़ा खेल चल रहा। वास्तविक ब्याज की गणना न करके ऐसी रकम का लाभ लिया जा रहा है जिसमें मूल राशि भी शामिल रहती है।