शेयर बाजार के नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफएंडओ) ट्रेडिंग के जोखिम को लेकर एक बार फिर चिंता जाहिर की है। माधवी बुच ने कहा कि बाजार के एफएंडओ कैटेगरी में शिरकत करने से देश के परिवारों को साल भर में 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यह बड़ा मुद्दा क्यों नहीं
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मुखिया माधवी पुरी बुच ने कहा- अगर एफएंडओ कैटेगरी में हर साल 50,000-60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है तो यह व्यापक मुद्दा क्यों नहीं है? यह राशि आने वाले आईपीओ, म्यूचुअल फंड या अन्य उत्पादक उद्देश्यों के लिए लगाई जा सकती थी।
ट्रेडिंग पर एडवाइजरी
सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 प्रतिशत डील घाटे में रहे। पूंजी बाजार नियामक ने मंगलवार को एक एडवाइजरी भी जारी किया, जिसमें इस गतिविधि को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं। बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि में यह सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद ही होगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) निवेशकों के लिए जोखिम से भरी डेरिवेटिव गतिविधि का विकल्प नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनकी तरलता और लाभ बहुत अलग है।
पेटीएम जैसी गड़बड़ी की इजाजत नहीं
इस बीच, सेबी प्रमुख ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बैंक ग्राहकों के समान केवाईसी सत्यापन का उपयोग करने की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि सेबी प्रतिभूति बाजार में पेटीएम जैसी गड़बड़ी की अनुमति नहीं देगा।
सेबी का रियल एस्टेट कंपनी पर एक्शन
सेबी ने मंगलवार को रियल एस्टेट कंपनी ओमैक्स और उसके चेयरमैन रोहतास गोयल, प्रबंध निदेशक मोहित गोयल एवं तीन अन्य को कंपनी के वित्तीय विवरणों में अनियमितता बरतने के मामले में दो साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया। जिन अन्य लोगों को प्रतिभूति बाजारों में भाग लेने से रोका गया है उनमें सुधांशु एस बिस्वाल, अरुण कुमार पांडे और विमल गुप्ता शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इन पांच लोगों को दो साल की अवधि के लिए किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी के निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया है।