Budget Impact: इस बार पेश हुए आम बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर और उसकी गणना के तरीके में बड़ा बदलाव किया गया है। इसका सीधा असर सोने-चांदी, म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार और संपत्ति में निवेश करने वालों पर होगा। कुछ मामलों में कर की दर बढ़ाई गई है, वहीं सोने-चांदी और संपत्ति की बिक्री पर दर में कटौती की गई है। हालांकि, इन पर मिलने वाले इंडेक्सेशन लाभ को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इससे टैक्स का गणित पूरी तरह बदल गया है। निवेशक असमंजस में हैं कि इन परिस्थितियों में अब कहां निवेश करना बेहतर होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल गोल्ड ईटीएफ ही सबसे बेहतर विकल्प नजर आ रहा है। वहीं, संपत्ति की बिक्री में उससे मिलने वाला रिटर्न टैक्स की गणना में काफी अहम होगा।
सोना-चांदी : दाम धड़ाम होने से ईटीएफ ही बेहतर विकल्प
आम बजट-2024 में सोने और चांदी पर लगने वाले सीमा शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है। इसके बाद इनकी कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 23 जुलाई के बाद से सोने के भाव 5,000 रुपये तक टूट गए हैं। ये 75,650 से फिसलकर 70,700 पर आ गया है। इसी तरह चांदी भी 23 जुलाई के बाद से 7000 रुपये तक टूट चुकी है।
इसकी कीमत 91,000 रुपये से गिरकर 84,400 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है। जानकारों का कहना है कि सोना-चांदी के दाम हाल के कुछ महीनों से उबाल पर थे। बजट में सीमा शुल्क कम करने से इनकी कीमतों पर सीधा असर दिख रहा है। आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही इन कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट का यह दौर आगे जारी रह सकता है। हालांकि, निवेशकों को अभी जल्दबाजी करने से बचना होगा।
टैक्स कैल्कुलेशन में इंडेक्सेशन लाभ को हटाया
सोने पर कैपिटल गेन टैक्स के लिए होल्डिंग अवधि को 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दिया है, ताकि इसे दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ माना जा सके। साथ ही दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) की दर को घटाकर 12.5% कर दिया गया है। वहीं, सोने के लिए इस कर गणना के लिए उपलब्ध इंडेक्सेशन को भी हटा दिया गया है।
इसका मतलब यह है कि पहले सोने और सोने के आभूषणों की बिक्री पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की गणना करते समय इंडेक्सेशन की अनुमति थी। इसके जरिए मुद्रास्फीति सूचकांक के अनुसार सोने की कीमत तय कर उस पर कर की गणना होती थी। फिर उस पर 20 फीसदी टैक्स लगता था। लेकिन अब इंडेक्सेशन के अनुसार गणना नहीं होगी। कुल लाभ राशि पर 12.5 फीसदी कर देना होगा।
ऐसे फायदा देंगे सोने-चांदी के ईटीएफ
जानकारों का कहना है कि अभी की स्थिति में सोने और चांदी के ईटीएफ में निवेश करना बेहतर विकल्प हो सकता है। इसका कारण है कि सोने और चांदी के आभूषणों की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। अगर अभी कोई निवेशक इनमें निवेश करता है और दाम गिरते हैं तो उसके लिए फिर से इसमें पैसा लगाना (एवरेज करना) मुश्किल हो सकता है। लेकिन ईटीएफ में यह दुविधा नहीं है।
आभूषण के मुकाबले इनकी कीमत काफी कम होती है। इनमें शेयर की तर्ज पर कारोबार होता है। इसकी एक यूनिट की कीमत 60 रुपये से भी शुरू हो सकती है। निवेशक एकमुश्त एक बार में कितनी भी यूनिट खरीद सकता है। वहीं, जो लोग एक साथ ईटीएफ में मोटा निवेश नहीं कर सकते, उनके लिए एसआईपी की सुविधा मौजूद है।
मतलब छोटी रकम से हर महीने निवेश किया जा सकता है। इन्हें शेयर की तरह कभी भी खरीद और बेच सकते हैं। इसका बड़ा फायदा यह होगा कि यदि भौतिक सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट के साथ ईटीएफ के दाम भी गिरते हैं, तो निवेशक कम कीमत के चलते इन्हें आसानी से इन्हें एवरेज कर सकता है। यहां नुकसान की आशंका सबसे कम रहेगी।