माइनिंग कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है कि राज्यों को टैक्स लगाने का अधिकार है, रॉयल्टी का नहीं। क्या है पूरा फैसला और क्या होगा इसका असर बताते हुए सीएनबीसी-आवाज के असीम मनचंदा ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट की संवैधानिक पीठ को दो बड़े सवालों का जवाब देना था। पहला ये कि क्या रॉयल्टी एक प्रकार का टैक्स है। दूसरा यह कि क्या राज्यों के पास माइनिंग पर रोक या टैक्स लगाने का कोई अधिकार है या नहीं।
राज्यों को माइनिंग एक्टिविटी के ऊपर टैक्स लगाने का पूरा अधिकार
बता दें कि केंद्र सरकार लगातार इस बात की मांग कर रही थी कि राज्य सरकारों को माइनिंग पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर माइनिंग गैरप्रतिस्पर्धी हो जाएगी और एक्सपोर्ट भी नहीं हो पाएगा। ये फैसला पिछले 25 सालों से लंबित था। लेकिन आज इस पर स्पष्टता आ गई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रॉयल्टी किसी तरह का टैक्स नहीं है। रॉयल्टी एक अलग चीज है और टैक्स से अलग है। राज्यों को माइनिंग एक्टिविटी के ऊपर टैक्स लगाने का पूरा अधिकार है।
खनिज संपदा से समृद्ध राज्यों को SC से राहत मिली
इस फैसले से माइनिंग कंपनियों को SC से झटका लगा है। वहीं, खनिज संपदा से समृद्ध राज्यों को SC से राहत मिली है। SC के फैसले के बाद राज्य खनिज की जमीन पर टैक्स लगा सकते हैं या पहले से लागू टैक्स को बढ़ा सकते हैं। MP, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल को SC से राहत मिली है। छत्तीसगढ़, राजस्थान सरकार को भी SC के इस फैसले से राहत मिली है। राज्यों को खनिज वाली भूमि पर टैक्स का अधिकार मिल गया है।
9 जजों की संविधान पीठ का 8:1 के बहुमत से ये फैसला आया है। अदालत ने साफ किया है कि राज्यों को टैक्स लगाने का अधिकार है रॉयल्टी का नहीं। राज्यों का माइनिंग टैक्स का अधिकार कायम रहेगा।