Stock market strategy investment ideas: शेयर बाजार में निवेश की रणनीति के तहत निवेशक जहां पिछले कुछ महीनों से और शेयर खरीदते जा रहे हैं और इस वजह से एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। लेकिन कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली छमाही में चांदी ने सबसे अच्छा रिटर्न दिया है और इस दौरान उसमें 30 फीसदी से ज्यादा की उछाल आई है।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख (जिंस व विदेशी मुद्रा) नवनीत दमानी ने कहा कि चांदी की कीमतों में तेजी भूराजनीतिक तनाव और चीन में आर्थिक रिकवरी के कारण आई है। चीन धातुओं के सबसे बड़े उपभोक्ता और उत्पादकों में से एक है।
दमानी ने कहा कि आर्थिक वृद्धि या औद्योगिक मांग के मोर्चे पर चीन के सकारात्मक संकेत कीमतों को और सहारा दे सकते हैं। चांदी की कीमतों में 30 फीसदी की वृद्धि को देखते हुए अल्पावधि में कुछ मुनाफावसूली हो सकती है। इसकी कीमतों में गिरावट खरीदारी का मौका हो सकता है। इसका अहम समर्थन स्तर 86,000-86,500 है जबकि 12 से 15 महीने का लक्ष्य संशोधित कर 1,00,000 से 1.15 लाख रुपये कर दिया गया है।
सोने के मामले में विश्लेषकों को उम्मीद है कि वास्तविक ब्याज दरों का असर पीली धातु पर साल 2024 के आखिर और 2025 में पड़ेगा। एचएसबीसी के विश्लेषकों ने सोने के लिए औसत कीमत अनुमान में इजाफा किया है लेकिन उनका मानना है कि इस साल चौथी तिमाही या 2025 में इसकी कीमतें नीचे रहेंगी।
एचएसबीसी सिक्योरिटीज के विश्लेषक जेम्स स्टील ने कहा कि हम 2024 में ट्रेडिंग रेंज 2,200 डॉलर से 2,600 डॉलर प्रति आउंस के बीच देख रहे हैं। जिंस को लेकर दिलचस्पी साल 2024 की बाकी अवधि में बनी रह सकती है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि शेयर बाजार में लार्जकैप शेयर मिड व स्मॉलकैप के मुकाबले बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व शोध प्रमुख जी. चोकालिंगम ने कहा कि सभी परिसंपत्ति वर्गों में निवेशकों को सबसे पहले सोने में निवेश करना चाहिए, उसके बाद शेयरों में। विभिन्न केंद्रीय बैंक भी और सोना खरीद सकते हैं जिनसे कीमतें आगे भी मजबूत बनी रह सकती हैं। केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में कटौती से भी सोने की कीमतों में इजाफा हो सकता है।
राबोबैंक इंटरनैशनल के विश्लेषकों के मुताबिक भूराजनीतिक तनाव की वजह से तेल की कीमतें कैलेंडर वर्ष 24 के ज्यादातर हिस्सों में मजबूत रह सकती है। उनका मानना है कि ब्रेंट क्रूड की औसत कीमतें दूसरी-तीसरी तिमाही में औसतन 91 डॉलर प्रति बैरल रहेंगी जो मौजूदा स्तर 85 डॉलर से करीब 7 फीसदी ज्यादा हैं। चौथी तिमाही में तेल 90 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है और पूरे साल का औसत 89.5 डॉलर प्रति बैरल रहने की आशा है।
उन्होंने हालिया नोट में कहा कि हमने साल 2025 के लिए सालाना औसत संशोधित कर 93.5 डॉलर और 2026 के लिए 98.75 डॉलर कर दिया है। हमारा अनुमान है कि डब्ल्यूटीआई कीमतें 2024 की दूसरी-तीसरी तिमाही में औसतन 87.25 डॉलर रहेंगी वहीं चौथी तिमाही में 85.60 डॉलर और पूरे साल का औसत 85.5 डॉलर रहेगा। हमने 2025 के लिए अपने सालाना औसत को संशोधित कर 88.9 डॉलर और 2026 के लिए 93.75 डॉलर कर दिया है।
शेयर बाजार का परिदृश्य
विश्लेषकों ने कहा कि इक्विटी ने ज्यादातर सकारात्मक चीजों को शामिल कर लिया है और अब उनके फंडामेंटल को समायोजित करने की संभावना है। ऐसे में ऊंचे भावों को सही ठहराने के लिए आय में वृद्धि जरूरी होगी। उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक तनाव की स्थिति शेयरों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि अहम अर्थव्यवस्थाओं मसलन फ्रांस, ब्रिटेन आदि के चुनाव नतीजे नवंबर 2024 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अनिश्चितता में इजाफा कर सकते हैं।
तुलनात्मक आकर्षक मूल्यांकन (24.5 गुना पीई) के आधार पर उन्हें स्मॉलकैप के मुकाबले लार्जकैप पसंद हैं। स्मॉलकैप अभी करीब 38 गुना पीई पर कारोबार कर रहे हैं। प्रभुदास लीलाधर के शोध प्रमुख अमिष अग्रवाल ने कहा कि हमने निफ्टी-50 का लक्ष्य बढ़ाकर 26,398 (पहले 25,816) कर दिया है जो मौजूदा स्तर से 7.7 फीसदी ज्यादा है। हमें उम्मीद है कि बाजार इसी के आसपास मजबूत होगा। हम गिरावट के दौरान खरीद की सलाह दे रहे हैं।
ब्रोकरेज का मानना है कि पूंजीगत सामान, बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक्स-पोर्ट्स, हॉस्पिटल्स, पर्यटन, ऑटो, न्यू एनर्जी, ई-कॉमर्स और दूरसंचार थीम में बेहतरी की क्षमता है लेकिन निवेशकों को मूल्यांकन को लेकर सजग रहने की जरूरत है। अग्रवाल ने कहा कि सामान्य मॉनसून और बजट में ग्रामीण और मध्य वर्ग के लिए कुछ रियायतें एफएमसीजी, टिकाऊ उपभोक्ता, ऑटो, खुदरा व बिल्डिंग मैटीरियल्स जैसे क्षेत्रों की मांग को बहाल कर देंगी। विश्लेषक बिटकॉइन को लेकर सतर्क हैं क्योंकि इसमें सटोरिया गतिविधियां बनी हुई है, जिससे उसके अंतर्निहित पोर्टफोलियो का पता नहीं चलता।