बाजार नियामक सेबी के विश्लेषण के मुताबिक डेरिवेटिव की पात्रता के लिए शेयरों के नए नियमों से सूची में मौजूदा 182 शेयरों की संख्या बढ़कर 191 तक पहुंच सकती है। सेबी ने एक नोट में कहा कि इस संशोधन से वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) से 26 शेयर बाहर निकल सकते हैं जबकि 35 शामिल हो सकते हैं। लेकिन इससे बेंचमार्क सूचकांकों निफ्टी-50 व सेंसेक्स के शेयरों में तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा। इन सूचकांकों का हिस्सा बनने के लिए उन्हीं शेयरों को चुना जा सकता है जो एफऐंडओ के पात्र होते हैं।
एफऐंडओ की पात्रता शर्तों में पिछली बार 2018 में संशोधन हुआ था और यह सूची पिछले दो साल से चली आ रही है। सेबी का विश्लेषण मई के आंकड़ों पर आधारित है। सेबी का फैसला हालांकि अधिसूचना जारी होने के बाद लागू होगा लेकिन नियामक ने पहले कहा था कि ये बदलाव इस बारे में परिपत्र जारी होने के तीन महीने बाद लागू होंगे।
जून की बोर्ड बैठक में नियामक ने पात्रता मानकों में संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके तहत कथित मार्केट वाइड पोजीशन, मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज और नकदी बाजार में रोजाना औसत डिलिवरी वैल्यू की ज्यादा लिमिट रखी गई है। नियामक की योजना इंडेक्स डेरिवेटिव की तरह स्टॉक डेरिवेटिव के लिए प्रॉडक्ट सक्सेस फ्रेमवर्क शुरू करने की भी है।
स्टॉक डेरिवेटिव के लिए प्रॉडक्ट सक्सेस फ्रेमवर्क से पर्याप्त टर्नओवर, ओपन इंटरेस्ट और ज्यादा ब्रोकरों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित होगी। परामर्श प्रक्रिया में सेबी को एकल शेयरों के लिए प्रॉडक्ट सक्सेस फ्रेमवर्क के खिलाफ ज्यादा टिप्पणी मिली थी और बाजार के भागीदारों ने इस प्रस्ताव को हलका बनाने का अनुरोध किया था।