वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे वक्त यूनियन बजट पेश करने जा रही हैं जब इकोनॉमी की ग्रोथ 8 फीसदी से ऊपर है। स्टॉक मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। कई शेयरों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स हाई वैल्यूएशंस पर चिंता जता रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाई वैल्यूएशन इंडिया की संभावनाओं के बारे में बताता है। उनका कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और मैन्युफैक्चरिंग के मामले में मजबूत बुनियाद तैयार हुई है।
वैल्यूएशन 10 साल के औसत से थोड़ी ज्यादा
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका के मुताबिक, Nifty में एक साल के फॉरवर्ड पीई के 21 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह 10 साल के औसत पीई से थोड़ा ज्यादा है। इंडियन इकोनॉमी की स्थिति काफी स्ट्रॉन्ग है। जीडीपी ग्रोथ काफी ज्यादा है। सरकार की वित्तीय सेहत बेहतर हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपया कमोबेश स्थिर बना हुआ है। कंपनियों की प्रॉफिट की ग्रोथ अच्छी है। तेजी मंडी के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) राज व्यास ने कहा कि वैल्यूएशन थोड़ी ज्यादा लगती है लेकिन अवधि के नजरिए से देखने पर यह अधिक नहीं है। दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले इंडिया की ग्रोथ की संभावना काफी ज्यादा है।
एक्सपर्ट्स दे रहे सावधानी बरतने की सलाह
लेकिन, कई एक्सपर्ट्स वैल्यूएशन को चिंता का सबब मानते हैं। उनका कहना है कि निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है। आगे मार्केट में बड़ी गिरावट आ सकती है। आइए बजट के दौरान मार्केट के प्रदर्शन को जानते हैं। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 में हुए थे। चुनावों के बाद 5 जुलाई, 2019 को सरकार ने बजट पेश किया था। इससे पहले 10 जुलाई, 2014 और 6 जुलाई, 2009 को सरकार ने चुनावों के बाद फुल बजट पेश किए थे। 2014 और 2019 में एनडीए की सरकार ने फुल बजट पेश किए थे, जबकि 2009 में यूपीए की सरकार ने फुल बजट पेश किए थे।
बजट के दिन मार्केट में तेज गिरावट
पिछले कुछ सालों को देखने से पता चलता है कि बजट के दिन मार्केट में तेज गिरावट देखने को मिली थी। 2009 में फुल बजट के दिन मार्केट 5 फीसदी से ज्यादा गिर गया था। हालांकि, बजट से पहले के दिनों में मार्केट में तेजी दिखी थी। सबसे ज्यादा 15 फीसदी का उछाल 2009 के बजट से पहले के दिनों में देखने को मिला था। 2019 और 2004 में बजट के बाद मार्केट में गिरावट आई थी। 2014 और 2009 में तेजी आई थी।
फिस्कल कंसॉलिडेशन और खर्च के बीच संतुलन बैठाने की कोशिश
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के पास इस बार पैसे की कमी नहीं है। आरबीई से मिले अनुमान से ज्यादा डिविडेंड से उसका हौसला बुलंद है। इससे सरकार के फिस्कल कंसॉलिडेशन पर फोकस बनाए रखते हुए अपना खर्च बढ़ाने की गुंजाइश है। नजरें इस बात पर लगीं है कि सरकार बजट में फिस्कल डेफिसिट को नियंत्रण में रखते हुए खर्च बढ़ाने के लिए क्या उपाय करती है।