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PFC और REC के शेयर 5% तक उछले, विदेशी ब्रोकरेज ने दी ‘Buy’ रेटिंग, चेक करें नया टारगेट प्राइस

PFC-REC Share Price: रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्प (REC) और पावर फाइनेंस कॉर्प (PFC) के शेयर आज 3 जुलाई को शुरुआती कारोबार में 5 प्रतिशत तक बढ़ गए। विदेशी ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन ने इन दोनों शेयरों को ‘Buy (खरीदें)’ के साथ कवर करना शुरू किया है। इसी के बाद इन दोनों शेयरों में यह तेजी आई है। ब्रोकरेज ने इन दोनों पावर फाइनेंस कंपनियों को पावर सेक्टर का अपना पसंदीदा स्टॉक बताया और कहा कि निवेशक शायद इन कंपनियों के मौजूदा साइकिल की अवधि और तीव्रता को कम आंक रहे हैं।

ब्रोकरेज ने कहा कि लोन के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) बनने का कथित खतरा भी अब काफी कम है, जो इन दोनों शेयरों के पक्ष में जाता है। REC और PFC का रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) 20 प्रतिशत और ग्रोथ रेट 15 प्रतिशत से भी अधिक है, जो कि इंडस्ट्री की बाकी कंपनियों के मुकाबले कहीं बेहतर है।

बर्नस्टीन ने कहा कि दोनों स्टॉक में आई हालिया तेजी के बावजूद, ये अभी भी पावर सेक्टर में तुलनात्मक रूप से कम वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं।

 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर पिछले सत्र के दौरान पीएफसी के शेयर मामूली बढ़त के साथ 502.60 रुपये पर बंद हुए। बर्नस्टीन ने शेयर के लिए टारगेट प्राइस 620 रुपये प्रति शेयर तय किया है, जो इसमें अभी 23 प्रतिशत की और तेजी आने की संभावना जताता है। वहीं REC के शेयर एनएसई पर 2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 539.40 रुपये पर बंद हुआ और विदेशी ब्रोकरेज ने इसके 653 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है। यह इस शेयर में 21 प्रतिशत की तेजी का अनुमान जताता है।

REC ने पिछले एक साल में अपने निवेशकों को 224 प्रतिशत का मल्टी-बैगर रिटर्न दिया है। वहीं PFC के के शेयर ने करीब 186 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया है। ऐसी अटकलें हैं कि सरकार जुलाई के अंत में पेश होने वाले बजट 2024-25 में पावर सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई ऐलान कर सकती है। इसके चलते इन दोनों शेयरों में निवेशकों का हाल में दिलचस्पी बढ़ी है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आगामी बजट में बिजली उत्पादन, डिस्ट्रीब्यूशन और रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन के लिए सरकार पहले से कहीं अधिक राशि आवंटित कर सकती है। इस बीच हमारे सहयोगी CNBC-आवाज ने एक रिपोर्ट में बताया कि वित्त मंत्रालय आरबीआई को भेजने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें उनसे पावर फाइनेंस कंपनियों को प्रस्तावित कड़े मानदंडों से राहत प्रदान करने के लिए कहा जाएगा।

 

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