Broking Stocks: भारतीय ब्रोकरेज फर्मों के शेयरों में मंगलवार 2 जून को तगड़ी गिरावट आई। यह गिरावट मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के एक सर्कुलर के बाद आई है। इस सर्कलुर में सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों सहित सभी मार्केट इंस्टीट्यूशन को ब्रोकिंग फर्मों पर एक समान फीस लगाने को कहा, जो वॉल्यूम पर आधारित न हो। इस सर्कुलर के बाद आज 2 जुलाई को शुरुआती कारोबार में एंजेल वन (Angle One), IIFL सिक्योरिटीज, 5पैसा कैपिटल (5Paisa Capital), SMC ग्लोबल, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज और जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी ब्रोकिंग कंपनियों के शेयर 2 से 11 प्रतिशत तक लुढ़क गए। जबकि दूसरी सेंसेक्स 0.23 प्रतिशत बढ़कर 79,662.64 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रहा था।
सबसे अधिक गिरावट एंजल वन के शेयरों में आई, जो 10.50 प्रतिशत तक गिरकर 2,307.95 रुपये प्रति शेयर के निचले स्तर पर पहुंच गया। IIFL सिक्योरिटीज में 7.44 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 195.20 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया।
बाकी शेयरों में 5पैसा कैपिटल में 4.5 प्रतिशत, SMC ग्लोबल में 2.4 प्रतिशत, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में 2.81 प्रतिशत और जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई। SEBI के नए सर्कुलर में कहा गया है कि स्टॉक एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशंस जैसे मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MIIs) को टर्नओवर के आधार पर ब्रोकिंग फर्मों को डिस्काउंट नहीं देना चाहिए।
फिलहाल स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन जैसे मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MIIs), एक स्लैब स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते ब्रोकर्स से ट्रांजैक्शन और डिपॉजिटरी चार्ज वसूलते हैं। बदले ब्रोकरे भी इसी तरह के स्लैब स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके अपने ग्राहकों से चार्ज लेते हैं।
हालांकि इन चार्ज का समय अलग-अलग होता है। ब्रोकर आम तौर पर अपने ग्राहकों से ये फीस को डेली आधार पर वसूलते हैं। वहीं MIIs को वे ये फीस मंथली आधार पर जमा करते हैं। इसके चलते डिस्काउंट ब्रोकर्स को इन ट्रांजैक्शन चार्ज डिस्काउंट्स के जरिए 15 से 30 फीसदी के बीच कमाई हो जाती है। वहीं डीप डिस्काउंट ब्रोकर्स के लिए यह आंकड़ा 50-70 फीसदी तक चला जाता है।
SEBI चाहता है कि ट्रांजैक्शन चार्जेज को लेकर पारदर्शिता रहे। सेबी की कोशिश है कि एक्सचेंज अलग ट्रांजैक्शन चार्ज न लगाए बल्कि सभी के लिए एक समान फी स्ट्रक्चर रहे। इसके अलावा सेबी यह भी चाहता है कि मार्केट प्लेयर्स को स्लैब डिस्काउंट्स मिले।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि इन बदलावों से डिस्काउंट ब्रोकर्स की कमाई पर तगड़ा असर पड़ सकता है। क्योंकि उनके पास रिटेल ग्राहकों का एक बड़ा बेस है और वे अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इसी तरीके से कमाते हैं। उदाहरण के लिए जेल वन ने वित्त वर्ष 24 में इन फीस से लगभग 400 करोड़ रुपये कमाए।
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