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Share Market Budget 2024: शेयर मार्केट निवेशकों को क्या इस साल बजट में कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलेगी

Share Market Budget 2024: नरेंद्र मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला फुल बजट पेश करने वाली है। ऐसे में सबको उम्मीद है कि इस बार उन्हें कुछ खास मिलने वाला है। ऐसी ही एक उम्मीद शेयर बाजार के निवेशकों ने भी लगाकर रखी है। उम्मीद है कि कैपिटल गेन टैक्स के मामले में सरकार इस बार कुछ राहत दे सकती है। इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, चल या अचल संपत्ति, किसी भी तरह के कैपिटल एसेट्स बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है। इसी तरह शेयर बाजार में स्टॉक्स बेचने पर भी निवेशकों को कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। वैसे शेयर, डेट और रियल एस्टेट पर कैपिटल गेन टैक्स लगाने का रेट और टाइम पीरियड भी अलग-अलग है।

कैपिटल गेन टैक्स के अलग-अलग नियम

फिलहाल लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज में डायरेक्ट निवेश करने और ज़ीरो कूपन बॉन्ड (लिस्टेड या अनलिस्टेड) में पैसा लगाते हैं तो 12 महीने के बाद आपका निवेश लॉन्ग टर्म माना जाएगा। वहीं अगर निवेश डेट-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसा लगाते हैं तो उसमें 36 महीने के बाद निवेश को लॉन्ग टर्म निवेश मानते हैं।

 

अभी कितना लगता है कैपिटल गेन टैक्स?

अगर आप शेयरों में निवेश करते हैं (STT लगने वाले) और वो 12 महीने से ज्यादा समय तक बने रहते हैं तो उसे लॉन्ग टर्म निवेश कहते हैं। शेयरों में निवेश पर 10% लॉन्ग टर्म टैक्स लगता है। जबकि 12 महीने से पहले निवेश बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिल गेन टैक्स लगता है। और यह 15 फीसदी है।

जिन लिस्टेड शेयरों पर STT नहीं लगता है उसमें भी 12 महीने से ज्यादा का निवेश लॉन्ग टर्म माना जाता है। इस पर लॉन्ग टर्म टैक्स नॉर्मल टैक्स रेट के हिसाब से लगता है। जबकि शॉर्ट टर्म टैक्स 20 फीसदी इंडेक्सेशन के साथ और 10 फीसदी बिना इंडेक्सेशन का लगेगा।

STT (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स) वाले इक्विटी फंड में भी 12 महीने या इससे ज्यादा समय तक निवेश लॉन्ग टर्म माना जाता है। इसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी है।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स तभी लगता है जब आप एक साल के बाद अपना निवेश बेचें और उससे आपको 1 लाख रुपए से ज्यादा का फायदा हो। एक लाख रुपए से ज्यादा कैपिटल गेन टैक्स होने पर 10 फीसदी टैक्स लगता है।

इस साल बजट में क्या है निवेशकों की मांग?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अलग-अलग एसेट्स की होल्डिंग पीरियड और टैक्स रेट अलग होने के कारण निवेशकों को काफी उलझन होती है। इसलिए लगातार यह डिमांड होती रही है कि सरकार कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव करें लेकिन अभी तक सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया है।

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