Budget Stocks: कोरोना महामारी के बाद से भारत की आर्थिक ग्रोथ K-आकार की रही है। यानी की आर्थिक असमानताएं बढ़ी हैं। साथ ही महंगाई के उच्च स्तर पर बने रहने से कंज्मप्शन पर भी काफी असर पड़ा है। हालांकि प्रीमियम सेगमेंट्स का प्रदर्शन इस दौरान ठीक-ठाक रहा है। जीडीपी डेटा भी यही बताता है सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर ही ग्रोथ का असली इंजन रहा है, जबकि खपत में कमी जारी है। इन सब स्थितियों को देखते हुए ऐसी उम्मीद की जा रही है कि सरकार खपत बढ़ाने के लिए इस बजट में मिडिल क्लास को कई तरह के राहत दे सकती है। इसमें टैक्स की कटौती भी शामिल है, जिससे उनके पास खर्च करने के लिए अधिक राशि बचेगी।
अभी तक जो चर्चा चल रही है, उसके मुताबिक स्टैंडर्ड डिडक्शन को नई टैक्स रिजीम के तहत बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जा सकता है, जो अभी 50,000 रुपये है। वहीं टैक्स स्लैब से छूट की न्यूनतम सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है। नई टैक्स रिजीम के तहत फिलहाल 7.5 लाख रुपये तक की ग्रॉस इनकम वाले व्यक्ति को टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ता है। हालांकि स्टैंडर्ड डिडक्शन, न्यूनतम टैक्स स्लैब और सेक्शन 87A में बदलाव के साथ इस सीमा के बढ़कर 10 लाख रुपये तक जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
अगर यह राहत दी जाती है तो 15 से 20 लाख रुपये तक की सालाना कमाई वाले मिडिल क्लास व्यक्तियों को काफी फायदा हो सकता है।
मिडिल क्लास के लोगों की जेब में अधिक पैसा आने का मतलब है कि वे तमाम उत्पादों को खरीदारी में पहले से अधिक खर्च करेंगे। इससे कई कैटेगरी के उत्पादों की खपत बढ़ सकती है। इसमें भी गैर-जरूरी उत्पादों की खपत अधिक बढ़ने का अनुमान है। इससे हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), डॉबर और इमामी जैसी FMCG कंपनियों को कुछ राहत मिल सकती है, जो लंबे समय से बिक्री के मामले में संघर्ष कर रही हैं।
इसके अलावा वरुण बेवरेजेज के स्टॉक पर भी पॉजिटिव असर पड़ने की उम्मीद है, जो पहले से ही बढ़ी हुई क्षमता, बेहतर डिस्ट्रीब्यूशन और इस साल पड़ रही चिलचिलाती गर्मी के चलते फोकस में बना हुआ है।
पिछले कुछ सालों में छोटे शहरों में भी तेजी से घर से बाहर खाना खाने का ट्रेंड बढ़ा है। जोमैटो (Zomato) के अलावा जुबिलेंट फूडवर्क्स (डॉमिनोज) और देवयानी इंटरनेशनल (KFC और पिज्जा हट) जैसे क्विक सर्विस रेस्टोरेंसेट्स को इस ट्रेंड से लाभ पहुंचने की उम्मीद है।
कंज्यूमर्स खर्च में बढ़ोतरी से फ्लेवर्ड मिल्क, दही और पनीर जैसे प्रीमियम डेयरी उत्पादों की मांग में भी उछाल आने की उम्मीद है। इस सेगमेंट में हेरिटेज फूड्स अपने वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट पर फोकस के साथ स्थिति का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रही है।
कंज्यूमर्स के हाथ में खर्च लायक अधिक पैसे बचने से कपड़ो और जूतों की खरीदारी पर भी खर्च बढ़ने की संभावना है। इससे आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल, ट्रेंट और मेट्रो ब्रांड्स जैसी इस सेगमेंट की ऑर्गनाइज्ड और ब्रांडेड कंपनियों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
बढ़ते शहरीकरण और रिकॉर्ड गर्मी के चलते, एयर कंडीशनर की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इसलिए, एसी बनाने वाली प्रमुख कंपनी वोल्टास एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
बजट 2024-25 में मिडिल क्लास को अगर होम लोन ब्याज पर छूट और टैक्स बेनेफिट जैसे कुछ नए इनसेंटिव मिलते हैं, तो रियल एस्टेट से जुड़े पूरे वैल्यू चैन में मांग बढ़ सकती है। इससे डालमिया भारत, हैवेल्स इंडिया, कजारिया सेरामिक्स और सेरा सैनिटरीवेयर जैसी होम इंप्रूवमेंट कंपनियों को फायदा हो सकता है।
मिडिल क्लास की आय जैसे-जैसे बढ़ेगी, दोपहिया वाहनों (टू-व्हीलर) की मांग में भी उतनी ही तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। दोपहिया वाहन भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में भी राहत देती है और बेहतर स्थिति व जीवनशैली का प्रतीक हैं। हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो इस सेगमेंट की प्रमुख लाभार्थी हो सकती हैं।
डिस्क्लेमर: stock market news ने उन कंपनियों की पहचान करने की कोशिश की है, जिन्हें बजट में संभावित टैक्स कटौती से लाभ पहुंच सकता है। यह पोर्टफोलियो खरीदने की सिफारिश नहीं है।