शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी का कहना है कि भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री फ्रंट-रनिंग, इनसाइडर ट्रेनिंग आदि फ्रॉड का पता लगाने के लिए अंदरूनी सिस्टम बनाने का काम अंतिम दौर में है। सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने बताया, ‘म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्ल ऑफ इंडिया) इस प्रस्ताव को पूरा करने के अंतिम चरण में है। यह एक जटिल प्रक्रिया है, लिहाजा इसमें समय लग रहा है।’
बुच ने कहा कि पहले चरण में बड़े फंड हाउसों को इसे पहले लागू करना होगा। उन्होंने बताया कि 10,000 करोड़ और इससे ज्यादा साइज वाले फंड हाउसों को इसे सेबी द्वारा फाइनल गाइडलाइंस जारी करने के 3 महीने के भीतर लागू किया जाएगा। बाकी फंड हाउसों को इसे 6 महीने के भीतर लागू किया जाएगा। सेबी ने अप्रैल में म्यूचुअल फंड नियमों में बदलाव करने का फैसला किया था। इसके तहत फ्रंट रनिंग, इनसाइडर ट्रेडिंग आदि गडबड़ियों से बचने के लिए ढांचागत सिस्टम बनाना जरूरी करने की बात है।
आम तौर पर जब शेयर बाजार में फ्रंट रनिंग जैसी घटनाएं होती हैं, तो आंकड़ों और ट्रेंड्स का इस्तेमाल कर सेबी जांच शुरू करता है, जिससे संभावित फ्रॉड का पता चलता है। हालांकि, पिछले एक साल से सेबी की राय है कि फंड हाउसों के पास अंदरूनी सिस्टम होना चाहिए, ताकि बाजार से जुड़ी गाड़ियों का पता लगाने के साथ-साथ उन्हें रोका जा सके।
अंदरूनी सिस्टम के बारे में सहमति बनाने के लिए एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्ल ऑफ इंडिया अब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के साथ काम कर रहा है। इस संबंध में सेबी को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मार्केट रेगुलेटर इस सिलसिले में फाइनल गाइडलाइंस जारी करेगा।