क्वांट म्यूचुअल फंड पर फ्रंट रनिंग के आरोप लगे हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी इस मामले की जांच कर रही है। ऐसे में इस म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों के मन में सवाल है कि क्या उन्हें इस फंड की स्कीम्स से पैसा निकाल लेना चाहिए या बने रहना चाहिए।
इसे लेकर ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और CEO पंकज मठपाल ने कहा कि म्यूचुअल फंड ने रिलायंस, अडाणी पावर, टाटा पावर, सेल, एलआईसी, टीसीएस जैसे प्रमुख शेयरों में निवेश किया है। सेबी की जांच सही होने पर भी इनमें से कोई भी स्टॉक प्रभावित नहीं होगा। इसलिए, क्वांट म्यूचुअल फंड निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे निवेशित रहें।
वहीं जो नए निवेशक है और म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने की सोच रहे हैं उनके मन में भी सवाल है कि सही फंड कैसे चुना जाए? ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े रिस्क, म्यूचुअल फंड सिलेक्शन सहित अन्य सवालों के जवाब जानने के लिए मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी से बात की। पढ़ें पूरा इंटरव्यू….
मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी।
1. आम निवेशक किन पैरामीटर्स को देखकर सही म्यूचुअल फंड का सिलेक्शन करें?
म्यूचुअल फंड का सिलेक्शन कई पैरामीटर्स को देखकर करना चाहिए। हर निवेशक का लक्ष्य अलग-अलग होता है। म्यूचुअल फंड चुनते समय निवेशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि कौन से फंड में वह किन उद्देश्यों के लिए निवेश कर रहा है। म्यूचुअल फंड चुनने से पहले निवेशकों को 6 पैरामीटर्स को ध्यान में रखना चाहिए :
- टाइम होराइजन
- रिस्क टेन्योर
- एग्जिट लोड
- फंड का साइज
- पास्ट परफॉर्मेंस
- फंड मैनेजर का एक्सपीरिएंस
2. क्या डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए म्यूचुअल फंड लेना सही है? रिटर्न पर कितना असर पड़ता है?
निवेशक डायरेक्ट (ऑनलाइन या संबंधित म्यूचुअल फंड की वेबसाइट) और फाइनेंशियल इंटरमीडियरी (रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर जैसे बैंक, ब्रोकिंग हाउस) जैसे सोर्स से म्यूचुअल फंड खरीद सकते हैं। डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए म्यूचुअल फंड खरीदना सही या गलत नहीं होता है। यह आपकी व्यक्तिगत स्थिति पर निर्भर करता है।
हर निवेशक के पास निवेश करने के अलग-अलग लक्ष्य और कारण होते हैं। एक डिस्ट्रीब्यूटर निवेशक को उसके निवेश उद्देश्य/लक्ष्यों के अनुसार सही म्यूचुअल फंड चुनने में मदद करता है। डिस्ट्रीब्यूटर म्यूचुअल फंड के बारे में अच्छी तरह से जानते और अनुभवी होते हैं और इसलिए वे निवेशक के लक्ष्यों, जरूरतों, जोखिम उठाने की क्षमता सहित अन्य चीजों के बारे में मार्गदर्शन कर सकते हैं।
डायरेक्ट या रेगुलर क्लाइंट के लिए म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो एक जैसा ही रहता है। दोनों रिटर्न के बीच आमतौर पर करीब 1% का अंतर होता है, क्योंकि डायरेक्ट निवेशक के पास बीच में कोई डिस्ट्रीब्यूटर नहीं होता है और वह डिस्ट्रीब्यूटर की ओर से लिए जाने वाले कमीशन से बच जाता है।
3. म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के मैनेजमेंट में फंड मैनेजर के रोल पर विस्तार से बता सकते हैं?
म्यूचुअल फंड की सफलता के लिए फंड मैनेजर की भूमिका बहुत जरूरी है। वह स्ट्रैटेजिक प्लानिंग, रिसर्च और मॉनिटरिंग करते रहते हैं। फंड मैनेजर्स रिस्क को मैनेज करते हुए अपने इन्वेस्टर्स को बेस्ट रिजल्ट देने के लिए काम करते हैं।
4. म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े रिस्क क्या हैं और इन्वेस्टर उन्हें कैसे कम कर सकते हैं?
म्यूचुअल फंड में दो बड़े रिस्क शामिल होते हैं-
- मार्केट रिस्क : मार्केट रिस्क सभी प्रकार के इन्वेस्टमेंट को प्रभावित करता है और अगर बाजार में गिरावट आती है तो नुकसान हो सकता है। सभी ऐसेट्स में डायवर्सिफिकेशन और लंबे समय का निवेश मार्केट रिस्क को कम कर देता है।
- लिक्विडिटी रिस्क : कुछ म्यूचुअल फंड ऐसी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, जो आसानी से ट्रेडेबल नहीं होती हैं। खास तौर पर अस्थिरता के समय में लिक्विडिटी रिस्क पैदा हो जाती है। इन्वेस्टर्स फंड की होल्डिंग्स को रिव्यू करके लिक्विडिटी रिस्क को कम कर सकते हैं।
5. म्यूचुअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो का कॉन्सेप्ट क्या है और इन्वेस्टर कैसे प्रभावित होते हैं?
म्यूचुअल फंड को मैनेज करने के लिए जो फीस ली जाती है उसे एक्सपेंस रेश्यो कहते हैं। इसे % (प्रतिशत) के रूप में दिखाया जाता है। एक्सपेंस रेश्यो सीधे म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स को मिलने वाले रिटर्न को प्रभावित करता है। कम एक्सपेंस रेश्यो आम तौर पर इन्वेस्टर्स के लिए हाई रिटर्न की ओर ले जाता है।
6. इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव अचीव करने के लिए फंड मैनेजर्स क्या कॉमन स्ट्रेटजी अपनाते हैं?
इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव को अचीव करने के लिए म्यूचुअल फंड मैनेजर्स की ओर से एक कॉमन स्ट्रेटजी डायवर्सिफिकेशन है। डायवर्सिफिकेशन मार्केट कैप, सेक्टर या एसेट क्लास के हिसाब से हो सकता है।
इस स्ट्रेटजी का मकसद किसी एक निवेश से खराब परफार्मेंस के प्रभाव को कम करके फंड के ओवरऑल रिस्क को कम करना है। अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिटी लाकर म्यूचुअल फंड मैनेजर संभावित रिटर्न और रिस्क के बीच संतुलन हासिल करने का लक्ष्य रखते हैं। यह स्ट्रेटजी इनवेस्टर्स को विभिन्न सेक्टर या एसेट क्लास की पोटेंशियल ग्रोथ से फायदा उठाने की अनुमति देती है।
7. इंडेक्स फंड और ईटीएफ के साथ आप एक्टिव मैनेज म्यूचुअल फंड के भविष्य को कैसे देखते हैं?
एक फंड हाउस के रूप में हमारा विश्वास है कि भारत एक अल्फा मार्केट है, जिसका मतलब है कि एक्टिव फंड मैनेजर्स में मार्केट इंडेक्स से बेहतर परफार्मेंस करने की क्षमता है।
हमारी इन्वेस्टमेंट फिलॉसफी उन मौका की पहचान करने के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। जहां से एक्टिव मैनेजमेंट अल्फा जनरेट कर सकता है, जिससे हमारे इन्वेस्टर्स के लिए बेहतर रिटर्न मिल सके।
8. इन्वेस्टर कौन सी सामान्य गलतियां करते हैं और वे उनसे कैसे बच सकते हैं?
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशक अक्सर सामान्य गलतियां करते हैं, जिनमें डायवर्सिफिकेशन की कमी, ओवर-डायवर्सिफिकेशन, फीस को इग्नोर करना, बार-बार ट्रेडिंग करना, फंड के उद्देश्यों को न समझना और इमोशनल इन्वेस्टमेंट सहित अन्य शामिल है।
इससे बचने के लिए डायवर्सिफिकेशन करें, रिसर्च करके फंड का सिलेक्शन करें, फंड को मॉनीटर करें और रीबैलेंस करें, फंड के लक्ष्य को समझें, टैक्स के बारे में विचार करें और लॉन्ग टर्म में डिसिप्लिन के साथ इन्वेस्टमेंट करते रहें।
9. एक इन्वेस्टर के पोर्टफोलियो में मिनिमम और मैक्सिमम कितने म्यूचुअल फंड होने चाहिए?
इन्वेस्टर के पोर्टफोलियो में आम तौर पर 5 से 6 फंड होते हैं। इससे ज्यादा फंड होने पर डायवर्सिफिकेशन का फायदा नहीं मिलता है क्योंकि अक्सर स्टॉक्स ओवरलैप होने लगते हैं। ओवर-डायवर्सिफिकेशन के रिटर्न को ट्रैक करना और मूल्यांकन करना कठिन हो जाता है। छोटे निवेश के लिए 1 या 2 बैलेंस्ड फंड भी पर्याप्त हो सकते हैं।
10. म्यूचुअल फंड का कॉन्सेप्ट क्या है, यह कैसे ऑपरेट होता है?
म्यूचुअल फंड निवेशकों को प्रोफेशनल्स (फंड मैनेजर) की ओर से मैनेज पोर्टफोलियो में निवेश करने की एक मौका देता है। म्यूचुअल फंड एक निवेश का ऑप्शन है जो कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करके सिक्योरिटीज (इक्विटी, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि) के डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश करता है। फंड के परफॉर्मेंस को उसके नेट एसेट वैल्यू (NAV) के जरिए ट्रैक किया जाता है। म्यूचुअल फंड को सेबी रेगुलेट करती है, जो निवेशकों के हितों की रक्षा करती है।