स्टॉक मार्केट में कितने तरह के इनवेस्टर्स होते हैं? कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें इनवेस्टर्स को मुख्य रूप से चार समूहों में बांटा गया है। इनमें फ्रॉग, पिग, वल्चर और एप शामिल हैं। मजाकिया अंदाज में किए गए इस वर्गीकरण में स्टॉक मार्केट को एक जंगल बताया गया है। कोटक ने कहा है कि यह ऐसी जगह है जहां किसी का अहम (EGO) मायने नहीं रखता है। यह जंगल खुद ही अपना राजा है। आइए कोटक के इस वर्गीकरण के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सबसे पहला वर्ग फ्रॉग का है। कोटक के एनालिस्ट्स का कहना है कि यह फ्रॉग इनवेस्टर्स के लिए शानदार वक्त है। उन्हें एक जादुई तालाब मिल गया है जो अपने आप भरता रहता है। हालांकि यह तालाब पिछले कुछ समय से उबल (मार्केट का ज्यादा वैल्यूएशंस) रहा है। इसमें पानी के बुलबुले भी दिख रहे हैं। तालाब के गर्म पानी में फ्रॉग्स को दिक्कत नहीं हो रही है, क्योंकि उनका शरीर बढ़ते तापमान (वैल्यूएशंस) के हिसाब से ढल गया है। उन्हें भरोसा है कि तालाब का पानी अपने आप ठंडा हो जाएगा।
इनवेस्टर्स का दूसरा वर्ग पिग (Pig) का है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इस वर्ग के इनवेस्टर्स का समय भी बहुत अच्छा चल रहा है। उनको इस बात का अहसास है कि तालाब में पानी का स्तर (बुलबुला) बढ़ रहा है। लेकिन, उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि तालाब के पानी का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया है। एनालिस्ट्स का कहना है कि तालाब के पानी के भांप बनने का खतरा है। ऐसे में तालाब का पानी भांप बनकर उड़ सकता है।
पिग्स को जंगल के कानून की थोड़ी भी परवाह नहीं है। उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा है कि सही समय पर वे दूसरे जानवरों के मुकाबले तालाब से जल्द बाहर निकल जाएंगे। फिर उनके सभी साथी भी ऐसा ही करेंगे। इसके मुकाबले तीसरे तरह के इनवेस्टर्स थोड़े अलग हैं। तीसरा वर्ग वल्चर इनवेस्टर्स का है। उन्हें बड़े शिकार की उम्मीद है। लेकिन, फिलहाल वे छोटे शिकार से काम चला रहे हैं। यह उस मौके से अलग है, जो उन्हें दूसरी जगह (संभवत: चीन का बाजार) मिला था। एनालिस्ट्स का कहना है कि कुछ वल्चर्स बेमन से इंडियन जंगल में लौटे हैं।
इनवेस्टर्स का आखिरी वर्ग ऐप (Ape) का है। एनालिस्ट्स का कहना है कि ये इनवेस्टर्स मार्केट को दूर से देखते हैं। उनकी नजरें कभी-कभी पेड़ से टपकने वाले पके फल पर होती है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इस वर्ग के इनवेस्टर्स पर जंगल के दूसरे जानवरों की नजरें नहीं होती हैं। इसकी वजह यह है कि वे जंगल में स्थायी रूप से नहीं रहते हैं। वे बाहर से मौकों पर नजर रखते हैं।