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अपने स्टील बिजनेस को बेचने की योजना बना रही यह खनन कंपनी

 

वेदांता लिमिटेड को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अपने स्टील और कच्चे माल के कारोबार को समेट लेगी। चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने यह जानकारी दी। कंपनी ने पिछले साल जून में इन बिजनेस की स्ट्रैटजिक रिव्यू शुरू की थी और कहा था कि इस बिजनेस का डिमर्जर मार्च 2024 तक पूरा हो जाएगा। हालांकि, पिछले महीने अग्रवाल ने कहा था कि वे बिजनेस को केवल “सही” कीमत पर बेचेंगे।

कंपनी ने 2018 में दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया था। अग्रवाल ने कंपनी की 2023-24 (अप्रैल-मार्च) की एन्युअल रिपोर्ट में कहा कि स्टील बिजनेस को बेचने की योजना कर्ज कम करने के कंपनी के प्रयासों का एक हिस्सा है। होल्डिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज में दो वर्षों में कर्ज में 3.7 अरब डॉलर की कटौती की गई है।

उन्होंने दोहराया, “हम अगले तीन वर्षों में वेदांता रिसोर्सेज को 3 अरब डॉलर तक और कम करना चाहते हैं।” 31 मार्च, 2024 तक वेदांता रिसोर्सेज पर 6 अरब डॉलर का कर्ज था। इसने पिछले साल 3.2 अरब डॉलर के बॉन्ड का पुनर्गठन भी किया। इससे इन बॉन्ड की मेच्योरिटी 2028-29 (अप्रैल-मार्च) तक बढ़ गई।

अग्रवाल ने कहा, “इस नई लिक्विडिटी फ्लेसिबिलिटी से हम महत्वपूर्ण कैपेक्स प्रोजेक्ट्स में कैश फ्लो को बढ़ा सकते हैं।” वेदांता ने इस साल कैपेक्स पर 1.9 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है, जो पिछले साल खर्च किए गए 1.4 अरब डॉलर से अधिक है।

अपने एल्युमीनियम ऑपरेशंस कंपनी वित्त वर्ष 26 तक अपनी एल्युमिना रिफाइनरी क्षमता को बढ़ाकर 6 मिलियन टन प्रति वर्ष करने पर काम कर रही है, जबकि इस वर्ष की दूसरी छमाही में 3 मिलियन टन की गलाने की क्षमता का लक्ष्य रखा है। कार्यकारी निदेशक अरुण मिश्रा और मुख्य वित्तीय अधिकारी अजय गोयल के हवाले से कहा गया, “हमें अपने EBITDA मार्जिन में कई गुना बढ़ोतरी की उम्मीद है और 3 एमटीपीए क्षमता पर, एल्युमीनियम कारोबार अकेले 4 अरब डॉलर से अधिक ईबीआईटीडीए उत्पन्न करेगा।” कंपनी भारत में अपने जिंक परिचालन, अपने तेल और गैस कारोबार के साथ-साथ अपने लौह अयस्क कारोबार की क्षमता का विस्तार करना चाहती है।

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