FPIs Buying: चुनावी नतीजों पर विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली फिलहाल रुक गई है। आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। पिछले पांच कारोबारी दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPIs) ने 140 करोड़ डॉलर के शेयरों के शुद्ध खरीदारी की है। पिछले दो महीने की तेज बिकवाली की तुलना में ठीक उल्टा है। NSDL के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में 110 करोड़ डॉलर के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की जो मई में बढ़कर 302 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई। अब इस महीने की बात करें तो पिछले पांच कारोबारी दिनों में FPIs ने भले ही बिकवाली से अधिक खरीदारी की हो लेकिन इस महीने जून में अब तक उन्होंने 62.4 करोड़ डॉलर के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की है।
इस साल अब तक FPIs ने 339 करोड़ डॉलर के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की है। सिर्फ मार्च महीना ही ऐसा रहा, जिसमें उ्होंने बिकवाली से खरीदारी की। मार्च में विदेशी निवेशकों ने 402 करोड़ डॉलर के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की थी। पिछले साल 2023 में FPIs ने 2100 करोड़ डॉलर के शेयरों की नेट खरीदारी की थी।
क्यों है खरीदारी का रुझान?
एनालिस्ट्स के मुताबिक ये जो खरीदारी का रुझान है, वह बीजेपी की अगुवाई में एनडीए के फिर से केंद्रीय सत्ता में आने की वजह से है क्योंकि इससे निवेशक अहम नीतियों के जारी रहने को लेकर आश्वस्त दिखे। एक बार तो विदेशी निवेशक 2019 की तुलना में कम सीट आने की आशंका पर बिकवाली कर रहे थे लेकिन एनालिस्ट्स के मुताबिक जब विदेशी निवेशकों को लगा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में अहम नीतियों में कोई खास बदलाव नहीं होगा तो इसने निवेश को लेकर रुझान पॉजिटिव कर दिया।
अब आगे क्या है रुझान?
विदेशी निवेशकों की यह खरीदारी आगे भी जारी रहेगी या नहीं, इसे लेकर एनालिस्ट्स का रुझान मिला-जुला है। इसकी वजह ये है कि मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक अभी यह मानना जल्दबाजी होगी कि सरकार की स्ट्रैटेजी में कोई बदलाव होगा या नहीं। असित सी मेहता इनवेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स के रिसर्च हेड सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि हालिया महीने में केंद्र सरकार की अनिश्चितता और अमेरिकी फेड की तरफ से दरों में कटौती में देरी से जुड़ी चिंताओं ने विदेशी निवेशकों की बिकवाली बढ़ाई। अब केंद्र सरकार से जुड़ी अनिश्चितता खत्म हो गई तो अब किसी बड़ी बिकवाली के आसार नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसी आक्रामक खरीदारी की उम्मीद भी नहीं है क्योंकि जो पॉजिटिव है, वह पहले ही शेयरों में जुड़ चुका है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट गौरांग शाह का मानना है कि विदेशी निवेशक अब भारतीय मार्केट को लेकर काफी भावनात्मक हो गए हैं। गौरांग शाह का मानना है कि भारत के जीडीपी वृद्धि, ब्याज दरें, कॉरपोरेट आय स्थिरता और आकर्षक रिटर्न जैसे मजबूत फंडामेंटल्स के चलते विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों की खरीदारी कर रहे हैं। समय के साथ-साथ वहीं निवेश भी बढ़ा रहे हैं।
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