पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 5 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 85,582 करोड़ रुपए बढ़ा है। इनमें LIC को सबसे ज्यादा मुनाफा हुआ है। इसका मार्केट कैप ₹46,425 करोड़ बढ़कर 6.74 लाख करोड़ हो गया।
LIC के बाद HDFC बैंक को सबसे ज्यादा मुनाफा हुआ। HDFC बैंक का मार्केट कैप ₹18,639 करोड़ बढ़कर ₹12.14 लाख करोड़ हो गया। वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप ₹10,216 करोड़ बढ़कर ₹19.98 लाख करोड़ हो गया। इसके अलावा SBI और भारती एयरटेल का मार्केट कैप भी बढ़ा है।
5 कंपनियों का मार्केट कैप ₹84,704 करोड़ घटा
वहीं टॉप-10 कंपनियों में से 5 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 84,704 करोड़ रुपए घटा है। HUL का मार्केट कैप सबसे ज्यादा ₹22,885 करोड़ घटकर ₹5.82 लाख करोड़ रहा। वहीं TCS का मार्केट कैप ₹22,052 करोड़ घटकर ₹13.86 लाख करोड़ रहा। इनके अलावा इंफोसिस, ICICI बैंक और ITC के मार्केट कैप में भी गिरावट रही।
पिछले सप्ताह में सेंसेक्स में 0.57% की तेजी रही
पिछले पूरे कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 0.57% की तेजी रही। निफ्टी में भी 0.28% की तेजी रही थी। वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार यानी 14 जून को शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली थी।
निफ्टी ने नया ऑल टाइम हाई बनाया था
निफ्टी ने नया ऑल टाइम हाई बनाया था। कारोबार के दौरान इसने 23,490 को स्तर छुआ था। हालांकि, इसके बाद निफ्टी थोड़ा नीचे आया और 66 अंक की बढ़त के साथ 23,465 पर बंद हुआ था।
वहीं, सेंसेक्स में 181 अंक की तेजी रही थी, ये 76,992 के स्तर पर बंद हुआ था। सुबह इसमें 200 पॉइंट की गिरावट थी। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 15 में तेजी और 15 में गिरावट देखने को मिली थी।
मिडकैप-स्मॉलकैप भी ऑलटाइम हाई पर
BSE का मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी ऑलटाइम हाई पर पहुंचा था। कारोबार के दौरान मिडकैप इंडेक्स ने 46,088 का हाई बनाया था। वहीं स्मॉलकैप 51,259 के स्तर पर पहुंच गया था। ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा 1.30% की तेजी रही थी।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।