तकनीकी विश्लेषकों को इस सप्ताह हालात सामान्य होने का अनुमान है और मुख्य सूचकांक मौजूदा स्तरों के आसपास बने रह सकते हैं।
ऐंजल वन में टेक्नीकल एवं डेरिवेटिव्स रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक ओशो कृष्णन ने कहा, ‘आर्थिक आंकड़े उत्साहवर्धक संकेत दे रहे हैं और आगे चलकर वैश्विक घटनाक्रम हमारे बाजारों के उतार-चढ़ाव के रुझान तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। निफ्टी ने करीब 2,000 अंक का उतार-चढ़ाव दर्ज किया है और अब उसमें अगली तेजी से पहले कुछ ठहराव देखा जा सकता है।’
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उनका कहना है कि निफ्टी को 23,500 पर कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है और गिरावट में 23,000 तथा 22,800 के स्तर पर नजर रखे जाने की जरूरत है।
एम्फैसिस का शेयर सुर्खियों में
मझोले आकार की सूचना प्रौद्योगिकी फर्म एम्फैसिस का शेयर सोमवार को सुर्खियों में रहेगा क्योंकि उसकी प्रवर्तक ब्लैकस्टोन करीब 6,700 करोड़ रुपये में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाने जा रही है। निजी इक्विटी कंपनी ने 2,350 रुपये का मूल्य तय किया है जो शुक्रवार के बंद भाव 2,472 से करीब 5 प्रतिशत कम है।
कारोबारियों का कहना है कि बड़ी ब्लॉक डील की वजह से प्रमुख निवेशकों को विपरीत कीमत उतार-चढ़ाव में लाभ उठाने का अवसर मिलेगा। हाल की कुछ ब्लॉक डील निवेशकों के लिए फायदेमंद सौदे साबित हुई हैं और इनसे उन्हें 5-10 प्रतिशत कम भाव पर शेयर खरीदने में मदद मिली है।
हालांकि आपको गिरावट पर तुरंत खरीदारी से पहले किसी शेयर के आउटलुक पर गंभीरता से विश्लेषण करने की जरूरत है। इस बीच, ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल इक्जिगो का संचालन करने वाली ली ट्रैवेन्यूज टेक्नोलॉजी के शेयर में 740 करोड़ रुपये के आईपीओ से पहले 245 फीसदी प्रीमियम पर सौदे होते देखे गए। इसका आईपीओ सोमवार को खुल रहा है।
शेयर ब्रोकरों की घटती भूमिका?
ब्रोकरों द्वारा ग्राहकों की परिसंपत्तियों के दुरुपयोग और चूक के मामलों के बाद बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियमों में कई बदलाव किए हैं। इनमें से कुछ शामिल हैं – अपने ग्राहकों की डीमैट होल्डिंग तक ब्रोकरों की पहुंच घटाना, क्लाइंट फंड को अलग रखना और ब्रोकरों का ज्यादा ऑडिट।
पिछले सप्ताह सेबी ने निवेशकों के डीमैट खातों में षेयरों के सीधे भुगतान व्यवस्था शुरू करके यह सख्ती और बढ़ा दी। इस समय जब कोई ग्राहक शेयर खरीदता है तो उन्हें क्लियरिंग कॉरपोरेशन द्वारा स्टॉक ब्रोकर के पूल अकाउंट में रखा जाता है, जिसे बाद में वह ग्राहक के डीमैट खाते में भेजता है।
सेबी ने ‘बेसिक सर्विसेज डीमैट अकाउंट’ के लिए सीमा 4 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब है कि 10 लाख रुपये से कम के शेयर रखने वाले निवेशकों को ब्रोकर को एनुअल मैंटेनेंस चार्जेस नहीं चुकाने होंगे।