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चौंकाने वाले चुनावी नतीजों से पहले, पीई और प्रोमोटर्स ने बाजार से निकाले 2.1 अरब डॉलर

 

चौंकाने वाले चुनाव नतीजों की वजह से शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट से पहले बड़ी वैश्विक निजी इक्विटी (PE) कंपनियां और प्रवर्तक 2 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी करने में सफल रहे।

15 मई और 31 मई के बीच 14 कंपनियों ने 5 करोड़ डॉलर (420 करोड़ रुपये) से ज्यादा की ब्लॉक डील कीं। ये सौदे मुख्य तौर पर पीई फंडों और प्रवर्तकों ने किए ।

यह बिकवाली इस उम्मीद से बाजार में आई तेजी के बीच की गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व वाली भाजपा (BJP) लोक सभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेगी। 27 मई को सेंसेक्स (Sensex) पहली बार 76,000 अंक के पार चला गया था।

हालांकि सूचकांक ने कुछ बढ़त गंवा दी लेकिन 3 जून को यह फिर से उसी स्तर पर पहुंच गया, जब एग्जिट पोल (Exit Poll) में दिखाया गया कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 543 सीटों में से दो-तिहाई सीटें मिलेंगी। भाजपा के बहुमत का आंकड़ा पार न करने पर 4 जून को शेयर कीमतें धड़ाम हो गई। इससे ब्लॉक डील की गतिविधियां भी रुक गईं।

इक्विरस में निवेश बैंकिंग के प्रबंध निदेशक वेंकटराघवन एस ने कहा, ‘चुनाव से कुछ सप्ताह पहले उतार-चढ़ाव को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं और उस समय बाजारों में काफी तेजी आ गई थी। पीई कंपनियों और प्रवर्तकों ने हालात का फायदा उठाया और अपनी हिस्सेदारी हल्की कर ली।

सेंट्रम कैपिटल में निवेश बैंकिंग के पार्टनर प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘बाजार सर्वाधिक ऊंचाई पर थे और प्रवर्तक और पीई कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहते थे। लोगों ने चुनाव से ठीक पहले बिकवाली का फैसला इसलिए किया होगा ताकि उन्हें सबसे अच्छी कीमत मिल सके।’

पिछले महीने की दूसरी छमाही में जिन कंपनियों ने सर्वाधिक निकासी की, उनमें स्वास्थ्य बीमा फर्म स्टार हेल्थ ऐंड अलायड इंश्योरेंस कंपनी (जिसमें एपिस पार्टनर्स, मैडिसन –एमआईओ, और आरओसी कैपिटल ने 2,211 करोड़ रुपये के शेयर बेचे), वेस्टब्रिज, स्टीडव्यू और जेआईएच मुख्य रूप से शामिल थी।

जिन कंपनियों में प्रवर्तक इकाइयों ने अपनी हिस्सेदारी घटाई, उनमें दवा कंपनी सिप्ला (2,725 करोड़ रुपये से ज्यादा का सौदा), सड़क डेवलपर आईआरब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स (1,445 करोड़ रुपये) और एमएनसी वाहन कलपुर्जा निर्माता टिमकेन इंडिया (1,253 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

ज्यादातर लेनदेन में खरीदार मुख्यतः घरेलू म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड तथा सॉवरेन वेल्थ फंड जैसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) थे। पिछले दो दिन के बाद बाजार में सुधार के बाद कुछ कंपनियों के शेयर अपने ब्लॉक डील भाव से ऊपर कारोबार कर रहे हैं, जबकि कुछ थोड़े नीचे हैं।

बाजार कारोबारियों का कहना है कि सौदों के प्रस्ताव मजबूत बने हुए हैं और केंद्र में नई सरकार बनने के बाद इसमें और तेजी आएगी।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘ज्यादा कुछ नहीं बदला है। वही सरकार बन रही है। सौदों की संख्या में थोड़ी ही कमी आएगी। यदि नीतियां उम्मीद के मुताबिक रहती हैं तो कुछ महीनों में हालात बदलने शुरू हो जाएंगे। दिशा सकारात्मक है, क्योंकि बाजार में अभी भी तरलता आ रही है।’

बड़े संस्थागत निवेशक ब्लॉक डील बिक्री के दौरान शेयर खरीदना पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसमें उन्हें शेयर भाव में बदलाव के बगैर बड़ी मात्रा में खरीदारी करने में मदद मिलती है।

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