लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के साथ ही शेयर बाजार ने ऐतिहासिक गिरावट देखी। इस दौरान सरकारी कंपनियों के मार्केट कैप में बड़ी गिरावट आई तो म्यूचुअल फंड्स को भी 90,000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। 3 जून तक म्यूचुअल फंड्स के पास 84 सरकारी कंपनियों में 5.71 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयर थे। चुनाव नतीजों के बाद यह मूल्य घटकर 4.83 लाख करोड़ रुपये रह गया।
किस कंपनी में कितनी हिस्सेदारी
4 जून तक म्यूचुअल फंड (एमएफ) के पास भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी। इसके बाद एनटीपीसी लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड का स्थान था। एसबीआई शेयरों में एमएफ की हिस्सेदारी 77,400 करोड़ रुपये थी, जो 3 जून को 90,440 करोड़ रुपये से कम होकर 13,040 करोड़ रुपये कम हो गई। एनटीपीसी में एमएफ की हिस्सेदारी का मूल्य 58,157 करोड़ रुपये था, जो 10,625 करोड़ रुपये की गिरावट को दिखाता है।
इन शेयरों में भी नुकसान
वहीं, पावर ग्रिड कॉर्प (31,136 करोड़ रुपये), कोल इंडिया (29,420 करोड़ रुपये), पावर फाइनेंस कॉर्प (22,430 करोड़ रुपये), आरईसी (18,390 करोड़ रुपये) और ओएनजीसी (18,955 करोड़ रुपये) में भी म्यूचुअल फंड्स को नुकसान हुआ है। इन कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स वैल्यू में क्रमश: 8,275 करोड़ रुपये, 4,400 करोड़ रुपये, 4,665 करोड़ रुपये, 4,500 करोड़ रुपये और 5,490 करोड़ रुपये की कमी आई।
बता दें कि भारतीय सूचीबद्ध पीएसयू कंपनियों को पिछले दो कारोबारी दिन में सामूहिक रूप से लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसका कुल बाजार पूंजीकरण 55 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह गिरावट सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में जोरदार तेजी के कारण आई।
ब्रोकरेज का क्या है अनुमान
ब्रोकरेज प्रभुदास लीलाधर फर्म के सलाहकार प्रमुख विक्रम कासट ने कहा- शॉर्टटर्म में पीएसयू शेयरों की रफ्तार कुछ धीमी पड़ सकती है लेकिन उन्हें जल्द ही वापसी करनी चाहिए। सामाजिक सुधारों की रफ्तार पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि नई सरकार अपने एजेंडा को किस तरह आगे बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता से शुरुआती आशंकाएं हो सकती हैं लेकिन नई सरकार के बनने और अपनी नीतियों को लागू करने के बाद महत्वपूर्ण सकारात्मक घटनाक्रम देखने को मिल सकता है।