स्टॉक मार्केट में 4 जून को बड़ी गिरावट आई। बाजार को लोकसभा चुनावों के नतीजे पसंद नहीं आए। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि BJP को उम्मीद से काफी कम सीटें मिलती दिख रही हैं। दिन में 2 बजे उपलब्ध डेटा के मुताबिक, बीजेपी 244 सीटों पर आगे चल रही है। यह 272 के जादुई आंकड़े से काफी दूर है। यह संख्या 2014 और 2019 में बीजेपी को मिली सीटों से कम है। 2014 में बीजेपी ने 283 सीटें जीती थीं, जबक 2019 में 303 सीटें उसके खाते में आई थीं। सवाल यह है कि अगर बीजेपी आखिरकार 272 सीटें हासिल नहीं करती है तो स्टॉक मार्केट पर क्या असर पड़ेगा?
सरकार की निर्भरता सहयोगी दलों पर बढ़ जाएगी
BJP को खुद 272 सीटें नहीं मिलने और NDA को बहुमत हासिल होने पर सरकार को एनडीए की बन जाएगी। लेकिन, उस सरकार में BJP की स्थिति मजबूत नहीं होगी। उसे हर बड़े फैसले के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर करेगा। मोदी 1.0 और मोदी 2.0 में ऐसा नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दोनों कार्यकाल में बड़े फैसले लिए। इनमें जम्मू-कश्मीर में 370 हटाने और तीन तलाक रोकने जैसे फैसले शामिल हैं। उसे बड़े फैसले के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं थी।
इकोनॉमिक रिफॉर्म्स पर घट सकता है फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इकोनॉमी की ग्रोथ तेज करने के लिए कई बड़े फैसले लिए थे। इनमें पूंजीगत खर्च बढ़ाना, पीएलआई स्कीम का ऐलान, प्रधानमंत्री की मुफ्त खाद्यान्न योजना शामिल हैं। इनका इकोनॉमी पर असर दिखा है। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज है। सरकार ने न सिर्फ पूंजीगत बढ़ाने पर फोकस बनाए रखा बल्कि उसने फिस्कल कंसॉलिडेशन पर भी जोर दिया है। यह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनावों के बाद सरकार विनिवेश प्रक्रिया में तेजी लाएगी।
इकोनॉमी की ग्रोथ पर पड़ सकता है असर
सरकार के रिफॉर्म्स पर फोकस का असर कई तरह से दिखा है। पीएसयू स्टॉक्स में पिछले एक-डेढ़ साल में आई तेजी इस बात का संकेत है। लंबे समय बाद सरकारी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है। बैंकों के डूबे कर्ज में बड़ी कमी दर्ज की गई है। बैंकों की सेहत अच्छी है। वे इकोनॉमी में कर्ज की बढ़ती मांग पूरी करने की स्थिति में हैं। बीजेपी अगर एनडीए के सहयोगी दलों पर निर्भर करती है तो वह उस तरह से रिफॉर्म्स पर जोर नहीं दे पाएगी, जैसा वह देती रही है। इसका असर स्टॉक मार्केट पर दिखेगा।
इंडियन मार्केट में घट सकता है विदेशी निवेशकों का भरोसा
विदेशी संस्थागत निवेशकों का भरोसा इंडियन मार्केट में घटेगा। पिछले कुछ महीनों में भले ही विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इंडियन मार्केट में बिकवाली की है। लेकिन, इसकी वजह ज्यादा वैल्यूएशन रही है। उनका भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर रहा है। बीजेपी को कम सीटें मिलने पर उन्हें मौजूदा पॉलिसी को लेकर संशय रहेगा। ऐसे में वे इंडिया में निवेश करने से पहले सावधानी बरतेंगे।