स्टॉक मार्केट ने 3 जून को लोकसभा चुनावों के एग्जिट पर अपनी प्रतिक्रिया जताई। एग्जिट पोल में एनडीए को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलती दिखाई गई हैं। जीडीपी के डेटा ने सोने पर सुहागा का काम किया। निफ्टी ने मार्केट खुलने के थोड़ी देर बाद ही 23000 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार कर लिया। अब सवाल यह है कि वे निवेशक अब खरीदारी शुरू करेंगे, जो मार्केट में गिरावट का इंतजार कर रहे थे? क्या वे निवेश का मौका चुकने के डर से खरीदारी करेंगे?
लोकसभा चुनावों के 6 महीने पहले से मार्केट में तेजी
यह ध्यान में रखना जरूरी है कि लोकसभा चुनावों से 6 महीने पहले Nifty में उसी तरह की तेजी देखने को मिली, जैसी 2019 में दिखी थी। इस बीच, कंपनियों की कमाई की ग्रोथ अच्छी रही है, जिसके चलते 2019 के मुकाबले वैल्यूएशन सही लेवल पर दिख रही है। Nifty 50 कंपनियों की अर्निंग्स की ग्रोथ FY24 में 25 फीसदी रही है। इकोनॉमी की सेहत अच्छी है। देश में राजनीतिक स्थिरता है। अमेरिकी इकोनॉमी के संकट से बाहर निकलने के संकेत दिख रहे हैं। ऐसे में अगले 2 साल में निफ्टी 50 कंपनियों की अर्निंग्स की सीएजीआर 15 फीसदी रहने का अनुमान है।
शेयरों की कीमतों में तेजी की गुंजाइश
अगर पिछले 10 साल की पीक वैल्यूएशन को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि स्टॉक्स की कीमतों में तेजी की गुंजाइश बची हुई है। ऐसा तब होगा, जब घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी शुरू होगी। लार्जकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन मिडकैप और स्मॉलकैप के मुकाबले अट्रैक्टिव है। एक साल आगे की अनुमानित 23.8 गुना की वैल्यूएशन को देखते हुए ऐसा लगता है कि निफ्टी 27,000 पर पहुंच जाएगा। यह निफ्टी में 17 फीसदी का उछाल है।
मार्केट पर इन बातों का भी पड़ेगा असर
उधर, विदेश में जियोपॉलिटिकल स्थिति को लेकर चिंता बनी हुई है। अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में कमी पर नजरें लगी हुई हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को भी ध्यान में रखना होगा। हालांकि, सबसे ज्यादा नजरें चीन की इकोनॉमी की ग्रोथ के आउटलुक पर होगी। इंडिया में मार्केट की नजरें रिफॉर्म्स पर होंगी। इसका असर मार्केट की चाल पर पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सरकार बनाने पर सरकार का फोकस रिफॉर्म्स और पूंजीगत खर्च पर होगा। मार्केट के लिए ये दोनों की पॉजिटिव है।