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इन सेक्टर की कंपनियों पर नहीं पड़ता लोकसभा चुनावों के नतीजों का ज्यादा असर

लोकसभा चुनाव न सिर्फ नई सरकार तय करने का काम करते हैं बल्कि ये स्टॉक मार्केट्स की दिशा का भी निर्धारण करते हैं। इसलिए चुनावों के नतीजों से पहले स्टॉक मार्केट्स में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिलता है। कुछ सेक्टर पर चुनावों का ज्यादा असर दिखता है। कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं, जिन पर चुनावों के नतीजों का ज्यादा असर नहीं दिखता है। किसी भी पार्टी की सरकार आए उनका प्रदर्शन एक जैसा बना रहता है। मनीकंट्रोल आपको कुछ ऐसे सेक्टर्स के बारे में बता रहा है, जिन पर चुनावी नतीजों का आम तौर पर कम असर देखने को मिलता है।

ऑटो सेक्टर की तेज रफ्तार बनी रहेगी

ऑटो ऐसा सेक्टर है, जिस पर चुनावी नतीजों का असर कम पड़ता है। इस सेक्टर की कंपनियों पर इकोनॉमी की स्थिति सहित दूसरे फैक्टर्स का ज्यादा असर पड़ता है। Aequitas Investments के एमडी एवं सीआईओ सिद्धार्थ भैया ने कहा कि सरकार की पॉलिसी, टैक्सेशन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन का असर ऑटो इंडस्ट्री पर पड़ता है लेकिन इससे ज्यादा असर लोगों की इनकम की ग्रोथ, शहरीकरण, फ्यूल प्राइसेज और रोजगार के मौकों पर पड़ता है। यही वजह है कि इस सेक्टर की दिग्गज कंपनियों में बड़ी संख्या में म्यूचुअल फंड की स्कीमों का निवेश है। मारुति सुजुकी के स्टॉक्स में 277 स्कीमों ने निवेश किया है। Tata Motors में 212 स्कीमों ने निवेश किया है। Mahindra & Mahindra के स्टॉक्स में 197 स्कीमों ने निवेश किया है।

पावर सेक्टर की पावर कम नहीं होने वाली

पावर ऐसा सेक्टर है, जो सीधे तौर से लोगों की बुनियादी जरूरतों से जुड़ा है। देश में पावर की मांग लगातार बढ़ रही है। सरकार का फोकस रिन्यूएबल एनर्जी पर बढ़ा है। दुनियाभर में ऐसा हो रहा है। इसलिए लोकसभा चुनावों के नतीजे चाहे जो आए, पावर सेक्टर की चमक कम नहीं होने वाली है। यही वजह है कि NTPC के स्टॉक्स में 310 स्कीमों का निवेश है। पावर ग्रिड के शेयर में म्यूचुअल फंड्स की 155 स्कीमों ने पैसे लगाए हैं। टाटा पावर में 85 स्कीमों का निवेश है।

कंज्यूमर गुड्स में हमेशा रहती है स्ट्रॉन्ग डिमांड

कंज्यूमर गुड्स सेक्टर को डिफेंसिव सेक्टर माना जाता है। इस पर चुनावी नतीजों का ज्यादा असर नहीं पड़ता है। इसकी वजह यह है कि इस सेक्टर की कंपनियों के प्रोडक्ट्स लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होते हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय से इस सेक्टर पर इनफ्लेशन का असर दिखा है, लेकिन इसमें सरकार की पॉलिसी का हाथ नहीं है। Nestle के स्टॉक्स में 107 स्कीमों ने निवेश किया है। वरूण बेवरेजेज के शेयर में भी 107 स्कीमों का निवेश है। जुबिलेंट फूडवर्क्स के स्टॉक में 87 स्कीमों का निवेश है।

इंश्योरेंस सेक्टर पर चुनावी नतीजों का असर नहीं

इंश्योरेंस ऐसा सेक्टर है, जिस पर चुनावी नतीजों का असर नहीं पड़ता है। हालांकि, अभी ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियों की वैल्यूएशन ज्यादा है। लेकिन, इन कंपनियों की ग्रोथ के लिए जबर्दस्त संभावनाएं मौजूद हैं। इसकी वजह यह है कि अभी आबादा के बड़ी हिस्से की पहुंच इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स तक नहीं है। यही वजह है कि इंश्योरेंस कंपनियों के स्टॉक्स में म्यूचुअल फंड की स्कीमों ने बहुत निवेश किया है। एसबीआई लाइफ में 173 स्कीमों का निवेश है। Max Financial Services का स्टॉक 130 स्कीमों की पोर्टफोलियो में शामिल है।

फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स स्टॉक्स में हरियाली

इस सेक्टर की कंपनियों का संबंध कृषि क्षेत्र से है, जिस पर आज भी आबादी का बड़ा हिस्सा निर्भर है। सरकारी किसी की भी रहे इस सेक्टर की कंपनियों के प्रोडक्ट्स की मांग हमेशा स्ट्रॉन्ग रहती है। कोरोमंडल इंटरनेशनल में 69 स्कीमों का निवेश है। पारादीप फास्फेट्स के स्टॉक्स में 16 स्कीमों का पैसा लगा है।

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