IRB Infra Share Price: एग्जिट पोल जारी होने के बाद आम लोगों को सबसे बड़ा झटका टोल के रूप में लगा है जिसे बढ़ा दिया गया है। हालांकि टोल में बढ़ोतरी का फैसला आईआरबी इंफ्रा डेवलपर्स (IRB Infra) के शेयरहोल्डर्स के लिए फायदे का सौदा साबित हुआ। टोल महंगा होने के चलते इसके शेयर आज इंट्रा-डे में 13 फीसदी से अधिक उछलकर रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब पहुंच गए। फिलहाल BSE पर यह 10.05 फीसदी की बढ़त के साथ 72.72 रुपये पर है। इंट्रा-डे में यह 12.89 फीसदी उछलकर 74.60 रुपये के हाई पर पहुंच गया था। इसका रिकॉर्ड हाई 76.55 रुपये है जो इसने 27 मई 2024 को छुआ था। आईआरबी इंफ्रा के अलावा एक और शेयर अशोक बिल्डकॉन
IRB Infra के अलावा Ashoka Buildcon को भी मिला सपोर्ट
टोल बढ़ने के चलते सिर्फ आईआरबी इंफ्रा में ही तेजी नहीं आई बल्कि अशोक बिल्डकॉन के शेयरों को भी तगड़ा सपोर्ट मिला। इसके शेयर तो इंट्रा-डे में 9 फीसदी उछलकर 199.90 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इस तेजी का कुछ निवेशकों ने फायदा उठाया लेकिन जोरदार मांग के चलते शेयर अधिक गिर नहीं पाए। फिलहाल BSE पर यह 6.87 फीसदी की मजबूती के साथ यह 195.90 रुपये पर है। ये दोनों हाईवे ऑपरेटर्स हैं।
कितना बढ़ा है टोल
लोकसभा चुनावों के चलते इस साल अप्रैल में टोल में सालाना बढ़ोतरी नहीं हुई। अब यह आज से 3% से 5% के बीच बढ़ाया गया है। भारत में टोल चार्जेज में महंगाई के हिसाब से हर साल बदलाव किया जाता है। हाईवे ऑपरेटर्स ने स्थानीय न्यूजपेपर्स में सोमवार से देश के करीब 1100 टोल प्लाजा पर टोल में 3-5 फीसदी की बढ़ोतरी का नोटिस जारी किया है। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि चूंकि चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो गई है, तो नई टोल रेट 3 जून से प्रभावी हो जाएंगे। इस चुनावों के चलते टाल दिया गया था।
अधिकारी के मुताबिक टोल शुल्क में बढ़ोतरी और फ्यूल प्रोडक्ट्स पर टैक्सेज से नेशनल हाईवेज के विस्तार में मदद मिलती है। हालांकि विपक्षी राजनीतिक पार्टियां और कई गाड़ियों के मालिक टोल में सालाना बढ़ोतरी की आलोचना करते हैं और उनका कहना है कि इससे जरूरी चीजों को लाने-जाने का खर्च बढ़ता है और यात्रियों पर बोझ पड़ता है। नेशनल हाईवेज में पिछले दस साल में भारी-भरकम निवेश हुआ है और अब इसकी लंबाई 1.46 लाख किमी हो गई है जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है। टोल कलेक्शन की बात करें तो वित्त वर्ष 2019 में 25200 करोड़ रुपये से उछलकर वित्त वर्ष 2023 में यह 54 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया। टोल टैक्स कलेक्शन में टोल प्लाजा की बढ़ती संख्या और चार्जेज में उछाल के साथ-साथ सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक के चलते बढ़ोतरी हुई।