ओमनीसाइंस कैपिटल के को-फाउंडर अश्विनी शमी का कहना है कि चुनाव नतीजों के बाद उन्हें बाजार में कोई बड़ा करेक्शन होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि केंद्र में एक बार फिर स्थिर सरकार बनने की संभावना काफी ज्यादा है। फाइनेंशियल सर्विसेज इंडस्ट्री में दो दशकों से ज्यादा की अनुभव रखने वाले अश्विनी का कहना है कि अगर शेयर कीमतों में कोई बड़ा बदलाव होता है और नए निवेश अवसर पैदा होते हैं तो वे पोर्टफोलियो की रिबैलेंसिंग को लिए तैयार रहेंगे।
ओमनीसाइंस कैपिटल में सलाहकार और इन्वेस्टमें रिसर्च टीम का नेतृत्व करने वाले अश्विनी शमी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 और उसके बाद रियल जीडीपी ग्रोथ की दर हाई सिंगल डिजिट में रहेगी।
क्या आप इस उम्मीद में नकदी जमा करके बैठे हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बाजार में करेक्शन देखने को मिल सकता है?
इसके जवाब में अश्विनी ने कहा कि वे पूरी तरह से निवेशित हैं और चुनाव के नतीजों के बाद बाजार में कोई बड़ा करेक्शन होने की उम्मीद नहीं है। केंद्र में फिर से स्थिर सरकार बनने की संभावना काफी ज्यादा है। हालांकि बाजार में प्रतिकूल बदलाव की संभावना हमेशा बनी रहती है। उन्होंने आगे कहा कि लॉन्ग टर्म निवेशक के रूप में वे अटकल के आधार पर निवेश निर्णय लेने से बचते हैं और फोकस्ड नजरिया बनाए रखते हैं। अगर शेयर कीमतों में कोई बड़ा बदलाव होता है और नए निवेश अवसर पैदा होते हैं तो वे पोर्टफोलियो की रिबैलेंसिंग को लिए तैयार हैं।
अगर चुनाव परिणामों के बाद कोई बड़ा करेक्शन होता है तो आप कहां एक्सपोजर लेना या और शेयर जोड़ना पसंद करेंगे?
इस सवाल के जवाब में अश्विनी शमी ने कहा कि हालांकि उनके फंड उन सेगमेंट्स की पहचान कर ली है जो मिस प्राइस्ड हैं और फंड के वार्तमान पोर्टफोलियो में शामिल भी हैं। लेकिन ये पक्का नहीं है कि किसी करेक्शन में हम इन्हीं शयरों को और जोड़ेंगे। अगर ऐसा कोई करेक्शन होता है तो हम उस समय सस्ते में मिल रहे हाई क्वालिटी शेयरों पर फोकस करेंगे।
क्या नए जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियां ओवरवैल्यूड (महंगी) लग रही हैं?
इसके जवाब में अश्विनी ने कहा कि नए जमाने की कंपनियों का वैल्यूएशन पी/ई अनुपात जैसे स्टैंडर्ड वैल्यूएशन मैट्रिक्स के आधार पर नहीं किया जा सकता। सबसे पहले इनके कारोबारी मॉडल और यूनिट इकोनॉमिक्स का वैल्यूएशन करने की जरूरत है। चूंकि इन कंपनियों की तरफ आमतौर पर ये जानकारियां नहीं दी जाती। इन कंपनियों पर अपनी राय बनाने के लिए बिजनेस के विश्लेषण की जरूरत होती है। उन्हीं नए जमाने कंपनियों पर दांव लगाया जा सकता है जो मुनाफे में हों।
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