RBI का गोल्ड रिजर्व फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 27.7 टन बढ़ा है। इससे केंद्रीय बैंक का कुल गोल्ड रिजर्व 822.10 टन पहुंच गया है। एक साल पहले यह 794.63 टन था। केंद्रीय बैंक इंडिया में जारी किए करेंसी नोट्स के एवज में 309.03 टन गोल्ड का स्टॉक रखता है। इसके अलावा आरबीआई के बैंकिंग डिपार्टमेंट में बतौर एसेट्स गोल्ड रखा जाता है। इसमें विदेश में रखा 514.07 टन का गोल्ड शामिल हैं। सवाल है कि केंद्रीय बैंक गोल्ड के अपने स्टॉक का प्रबंधन किस तरह से करता है?
RBI ने FY24 के अपने एनुअल रिपोर्ट में कहा है कि उसका गोल्ड रिजर्व 822.10 टन का है। गोल्ड रिजर्व पिछले साल के 794.63 टन से 27.47 टन बढ़ा है। FY24 में आरबीआई का गोल्ड रिजर्व 52.67 अरब डॉलर का है। यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा है। विदेशी मुद्रा भंडार 644.41 अरब डॉलर का है। केंद्रीय बैंक के एनुअल रिपोर्ट में यह भी कहा है कि फॉरेन इनवेस्टमेंट के कारण उसकी बैलेंस शीट 7.02 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है।
RBI की बैलेंस शीट में फॉरेन इनवेस्टमेंट, गोल्ड, लोन और एडवान्सेज की हिस्सेदारी क्रमश: 13.90 फीसदी, 18.26 फीसदी और 30.05 फीसदी बढ़ी है। आरबीआई की बैलेंस शीट 31 मार्च, 2023 को 63.44 लाख करोड़ थी। इससे यह 11.08 फीसदी बढ़ी है। 31 मार्च, 2024 को यह 70.47 लाख करोड़ रुपये थी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने 31 मई की खबर में कहा है कि केंद्रीय बैंक ने युनाइटेड किंग्डम से 100 टन से ज्यादा गोल्ड लाया है। इतना ज्यादा गोल्ड इससे पहले 1991 में केंद्रीय बैंक की ट्रेजरी में बढ़ा था।
टीओई की खबर में बताया गया है कि आने वाले कुछ महीनों में लॉजिस्टिक्स और डायवर्सिफायड स्टोरेज की वजहों से आरबीआई के गोल्ड रिजर्व में इजाफा हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने कुछ साल पहले गोल्ड खरीदना शुरू किया था। उसके बाद उसने इसके स्टोरेज के बारे में विचार करना शुरू किया। चूंकि विदेश में स्टॉक बढ़ रहा था, जिससे कुछ गोल्ड इंडिया लाने का फैसला किया गया। इंडिया गोल्ड लाने के लिए उसे कस्टम ड्यूटी से छूट दी गई। केंद्र ने इसे सॉवरेन एसेट मानते हुए ड्यूटी से छूट दी। हालांकि, इंपोर्ट पर लगने वाले इंटिग्रेटेड जीएसटी पर छूट नहीं दी गई।
ICICI Direct ने अप्रैल 2024 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई पिछले कुछ सालों से अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहा है। पिछली कुछ तिमाहियों में केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व काफी बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि गोल्ड रिजर्व बढ़ने की एक बड़ी वजह केंद्रीय बैंकों का डॉलर एसेट्स में घटता भरोसा है।