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Insurance Stocks: बीमा कंपनियों के शेयरों में गिरावट, IRDAI बदल सकती है इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ा यह नियम

Insurance Stocks: अधिकतर बीमा कंपनियों के शेयर आज 30 मई को लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। LIC, HDFC लाइफ, SBI लाइफ, ICICI प्रूडेंशियल लाइफ और ICICI लोम्बार्ड जैसी बीमा कंपनियों के शेयर दिन के कारोबार में 2 फीसदी तक लुढ़क गए थे। इन शेयरों में यह गिरावट इस रिपोर्ट के बाद आई कि इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट एंड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) अपने मार्च के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करते हुए बीमा पॉलिसियों के सरेंडर वैल्यू को बढ़ा सकती है।

हमारे सहयोगी CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, IRDAI बीमा कंपनियों से पॉलिसी वापस करने पर दी जाने वाली गारंटी राशि या स्पेशल सरेंडर वैल्यू को बढ़ाने के लिए कह सकता है। इससे पहले मार्च 2024 में IRDAI ने सरेंडर मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया था।

क्या होती है सरेंडर वैल्यू?

सरल शब्दों में कहें तो, सरेंडर वैल्यू वह राशि है जो बीमा कंपनी किसी पॉलिसीधारक को तब देती है जब वह मैच्योरिटी से पहले अपनी पॉलिसी को तुड़वाने का फैसला करता है। जब कोई पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी को सरेंडर करने का विकल्प चुनता है, तो बीमा कंपनी भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या, पॉलिसी की अवधि और दूसरे फैक्टर्स के आधार पर सरेंडर वैल्यू तय करती है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक, अगर दूसरे पॉलिसी को पहले साल के दौरान सरेंडर किया जाता है, तो बीमा कंपनी कोई राशि नहीं देती है। वहीं अगर दूसरे साल में सरेंडर किया जाता है, तो बीमा कंपनी पॉलिसीधारक को कुल प्रीमियम का 30 प्रतिशत भुगतान करेगी। इसी तरह अगर तीसरे साल के दौरान इसे सरेंडर किया जाता है, तो कंपनी को 35 प्रतिशत का भुगतान करना होगा।

दूसरी ओर, अगर चौथे से सातवें साल के बीच पॉलिसी सरेंडर की जाती है, तो कंपनी कुल प्रीमियम का 50 प्रतिशत भुगतान करेगी। वहीं जबकि अंतिम दो सालों के दौरान सरेंडर करने पर 90 प्रतिशत भुगतान करेगी।

हालांकि नए प्रस्ताव में यह संकेत दिया गया है कि बीमा कंपनियों को अधिक गारंटी राशि के साथ स्पेशल सरेंडर वैल्यू का भी भुगतान करना होगा। गारंटी वैल्यू वह न्यूनतम राशि है जो बीमा कंपनी पॉलिसीधारक को भुगतान करेगी। वहीं स्पेशल सरेंडर वैल्यू आमतौर पर गारंटी वैल्यू से अधिक होता है।

इसके अलावा, IRDAI पहले साल से ही स्पेशल सरेंडर वैल्यू देने का प्रावधान ला सकती है। यह मौजूदा नियम के विपरीत है क्योंकि पॉलिसीधारक को 3 साल का प्रीमियम का भुगतान करने के बाद ही सरेंडर वैल्यू मिलता है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि अगर IRDAI सरेंडर वैल्यू बढ़ाने पर विचार करता है, तो इससे बीमा कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

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