Yes Bank एक ऐसा शेयर है जिसमें लाखों रिटेल इनवेस्टर्स का पैसा लगा है। अब कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं जिससे इस शेयर पर आपका भरोसा और बढ़ सकता है। और ये बातें कहीं सुनी वाली नहीं है। खुद Yes Bank के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO प्रशांत कुमार ने मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में अपनी रणनीतियों के बारे में बताया है। आप ये पूरा वीडियो देखें क्योंकि इसमें आपको कई इनसाइट मिल सकते हैं। इससे पहले कि हम आपको इस इंटरव्यू के बारे में बताएं आप हमें कॉमेंट करके बताएं कि क्या आपके पोर्टफोलियो में भी Yes Bank का शेयर है।
प्रशांत कुमार से जब यह पूछा गया कि आपने बहुत मुश्किल दौर में Yes Bank की कमान ली थी। और तब से अब तक कितना कुछ बदल गया है?
इस पर प्रशांत कुमार ने कहा, तब हमारी सबसे पहली और बड़ी चुनौती थी Yes Bank के बिजनेस में स्टेबिलिटी लाना। और इसके लिए बैंक के पास फंड नहीं था। अभी इससे उबरे ही थे कि कोविड का मुश्किल दौर शुरू हो गया। लेकिन फिर भी हमारे लोग ग्राहकों तक पहुंचे और उनको भरोसा दिलाया। खासतौर से जब भारतीय स्टैंट बैंक आगे आकर हमारा प्रमुख इनवेस्टर्स बना, तो इससे डिपॉजिटर्स का काफी भरोसा बढ़ा।
पहली बार लोगों ने देखा कि सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और दूसरे की सरकारी बैंक एक साथ आकर लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, आपके पैसे नहीं डूबेंगे। मैं समझता हूं कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण और अहम बात थी।
प्रशांत कुमार के लिए दूसरा सवाल ये था कि Yes Bank ने ग्राहकों का भरोसा दोबारा कैसे जीता?
इस पर उन्होंने कहा, अगर आपके लोग कस्टमर से जुड़ने और उन तक पहुंचने की कोशिश करते हैं और उनकी जरूरतों की देखभाल करते हैं, तो धीरे-धीरे भरोसा बनाता जाता है। साथ ही लोगों ने यह भी देखा कि उनके बैंक में जमा किए गए पैसे वापस मिलने लगे हैं। हालांकि यह सिर्फ एक चीज था। बैंक के लिए दूसरी सबसे जरूरी चीज थी कि, वह अपने कारोबार को किसी भी हाल में जारी रखे। इसलिए हम उस समय भी लोन दे रहे थे। हमने लोन देना कभी बंद नहीं किया। अगर आप लोन देना बंद कर देते हैं, तो फिर बाजार में आपका लेकर माहौल काफी नेगेटिव हो जाता है।’
तीसरा सवाल था कि रिस्ट्रक्चरिंग से लेकर अब तक Yes Bank के बैलेंस शीट में क्या सुधार हुआ है?
इस पर प्रशांत कुमार ने कहा, हमने इक्विटी के जरिए पैसे जुटाए। इक्विटी का पहला राउंड बैंकों के साथ हुआ। यह राउंड सिर्फ खुद के वजूद को बचाए रखने के लिए था। फिर जुलाई 2020 में हमने इक्विटी के जरिए 2 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई। वह बहुत कठिन समय था, फिर भी हम फंडिंग जुटाने में सफल रहे। इस तरह बैंक में एक तरफ डिपॉजिट आ रहा था, दूसरी तरफ हमने इक्विटी जुटाई।
चौथा सवाल था कि क्या Yes Bank का बैड लोन का रेशियो भी बेहतर हुआ है?
इस सवाल के जवाब में प्रशांत कुमार ने कहा, हमने बैड लोन की वसूली शुरू कर दी है। अगर आप पिछले 4 सालों को देखें, तो हर साल हमने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है। इसके अलावा दिसंबर 2020 में हमने एक ट्रांजैक्शन के जरिए पूरे बैड लोन को एक एसेट कंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) को ट्रांसफर कर दिया। इससे हमें काफी मदद मिली।
बैंक का ग्रॉस NPA, जो पहले 16-17 प्रतिशत था, वह आज की तारीख में अब घटकर 1.7 फीसदी पर आ गया है। लगभग सभी प्राइवेट बैंकों में यह सबसे अच्छा आंकड़ा है। यहां तक कि हमारा शुद्ध NPA इस समय सिर्फ 0.55 प्रतिशत पर है। इसलिए, NPA की समस्या पूरी तरह से हल हो गई है। पिछले वित्त वर्ष में भी हमने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैड लोन की वसूली की है।
Yes Bank के डिपॉजिट ग्रोथ पर क्या है प्रशांत कुमार का कहना
बैंक के डिपॉजिट ग्रोथ के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, अगर आप वित्त वर्ष की 2024 की बात कर रहे हैं, तो इसमें हमारी डिपॉजिट ग्रोथ 23 प्रतिशत रही। मुझे लगता है कि यह किसी भी बैंक के मुकाबले सबसे अधिक है। हक का बैंक पर भरोसा और विश्वास का सबसे बड़ा पैमाना, डिपॉजिट ग्रोथ ही होती है। लोन आप कभी भी किसी को दे सकते हैं। लेकिन अगर कोई अपनी जमा राशि आपको दे रहा है, तो इसका मतलब है कि वह आप पर भरोसा कर रहा है।
Yes Bank की ब्रांच और दूसरे सोर्स से रिटेल डिपॉजिट लगभग 65 प्रतिशत और होलसेल डिपॉजिट 35 प्रतिशत है। पहले रिटेल डिपॉजिट की राशि काफी छोटी हुआ करती थी और सारा फोकस होलसेल पर रहता था।
क्या SBI अपनी हिस्सेदारी बेचकर बैंक से बाहर निकलने की तैयारी में है?
इस सवाल के जवाब में प्रशांत कुमार ने कहा, SBI हमारी सबसे बड़ी शेयरधारक है और उसके पास बैंक में करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। SBI की मौजूदगी ने ग्राहकों को एक अलग तरह का भरोसा दिया। SBI की वजह से ही ग्राहक शुरुआती दौर से इस बैंक में आ रहे थे। इससे बैंक को काफी मजबूती मिली। लेकिन हमें यह भी समझने की जरूरत है कि नियमों के मुताबिक, एक बैंक दूसरे बैंक में इनवेस्ट नहीं कर सकता है। इसका मतलब है कि जब यस बैंक का कारोबार फिर से समान्य हो गया है, तो SBI को एक रणनीतिक निवेशक के रूप में इससे निकलना होगा। तो, ऐसा होना तय है।
तो ऐसे में एक सवाल हर निवेशक के मन में है कि क्या SBI यस बैंक के शेयरों में अपना स्टेक बेच देगा? इस पर प्रशांत कुमार ने कहा, मैं इसपर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर पाऊंगा। लेकिन एक हकीकत बता रहा हूं कि एक बैंक, दूसरे बैंक में निवेश किए हुए नहीं रह सकता है। मुझे लगता है कि सही समय आने पर ऐसा हो जागा। यस बैंक भी अब काफी अच्छी स्थिति में पहुंच गया है। हम अब उस स्थिति में पहुंच गए, जहां SBI की जगह कोई दूसरा रणनीतिक निवेशक आना चाहिए। लेकिन ऐसा कब होगा, यह कहना काफी मुश्किल होगा।
मुझे कोई चिंता नहीं है और इसकी चिंता किसी को होनी ही भी नहीं चाहिए। देखिए SBI की यस बैंक में करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि इसकी जगह जो भी निवेशक आएगा, उसे रिजर्व बैंक (RBI) से हिस्सेदारी खरीदने के लिए मंजूरी लेनी होगी। इसका मतलब है कि नए शेयरधारक की खुद RBI अपने स्तर पर पूरी जांच करेगा। ऐसा नहीं है कि बाजार से उठकर कोई भी बैंक में हिस्सेदारी खरीदने आ जाएगा। RBI जिस निवेशक को योग्य और सही पाएगा, उसे भी उतना ही भरोसा और सपोर्ट मिलेगा, जितना SBI को था।
Yes Bank के शेयरों ने 4 साल में 443% रिटर्न दिया
बाद में RBI ने आगे आकर बैंक को अपने कंट्रोल में लिया और इसके पुराने बोर्ड को भंग कर नया बोर्ड बनाया। SBI सहित दूसरे कई बैंकों ने इसमें पैसा डालकर बैंक को डूबने से बचाया। इस मुश्किल समय में RBI ने प्रशांत कुमार को बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ नियुक्त किया। प्रशांत कुमार ने ना सिर्फ बैंक को सफलतापूर्वक मुश्किलों से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई। बल्कि बैंक के शेयरों की कीमत भी आज अपने ऑल टाइम लो से करीब 443% फीसदी बढ़कर 23.05 रुपये पर पहुंच गई है।