आईपीओ मार्केट में कुछ महीनों की सुस्ती के बाद रौनक लौटी है। बीते कुछ हफ्तों में कई बड़ी और एसएमई कंपनियों के आए। इससे ग्रे मार्केट में भी हलचल बढ़ी है। एनएसई, हीरो फिनकॉर्प और एचडीबी फाइनेंशियल के अनलिस्टेडट शेयरों की कीमतों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। पिछले महीने एनएसई के अनलिस्टेड शेयर की कीमत 2, 300 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। हीरो फिनकॉर्प और एचडीबी फाइनेंशियल के शेयरों में भी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। इसकी वजह यह है कि तीनों कंपनियों के संभावित आईपीओ को लेकर हलचल बढ़ी है।
ग्रे मार्केट की कीमतों से स्टॉक्स के लिस्टिंग गेंस का अंदाजा मिल जाता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्रे मार्केट में अनलिस्टेड शेयरों की कीमतें बढ़ने का मतलब है कि रिटेल इनवेस्टर्स की नजरें इनके आईपीओ पर हैं। वेल्थ विजडम इंडिया के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा पटवारी ने कहा कि लिस्टिंग पर मुनाफा कमाने के लिए इनवेस्टर्स ग्रे मार्केट में शेयरों में निवेश कर रहे हैं। अनलिस्टेड शेयरों की कीमतों के ट्रेंड से उस शेयर की डिमांड और सप्लाई की स्थिति और सेंटीमेंट का पता चलता है।
NSE के शेयरों की कीमतें 2,300 रुपये की रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंच गई हैं
ग्रे मार्केट में अनिलिस्टेड स्टॉक की कीमतों के प्रीमियम से यह संकेत मिलता है कि उसकी लिस्टिंग कितने प्रीमियम पर होगी। लेकिन, इस पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता। दरअसल, जब किसी स्टॉक की सप्लाई डिमांड के मुकाबले कम होती है तो उसकी कीमतों में उछाल दिखता है। NSE के शेयरों में ऐसी ही स्थिति दिख रही है। NSE के शेयर की कीमत 1 मई को 1,600 रुपये थी। ह 31 मई को बढ़कर 2,375 रुपये पर पहुंच गई। इससे पता चलता है कि इस स्टॉक को लेकर सेंटिमेंट काफी स्ट्रॉन्ग है।
प्री-आईपीओ के निवेशकों के लिए 6 महीने का लॉक-इन पीरियड
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिटेल इनवेस्टर्स को ग्रे मार्केट में अनिलिस्टेड शेयरों के प्रीमियम को देखकर निवेश में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्हें पहले लिक्विडिटी, लॉक-इन पीरियड, वैल्यूएशन और बिजनेस रिस्क को समझ लेना चाहिए।
लिस्टिंग पर तुरंत प्रॉफिट बुक करने का नहीं मिलेगा मौका
अगर कोई इनवेस्टर यह सोच रहा है कि ग्रे मार्केट में शेयरों को खरीदने के बाद लिस्टिंग पर वह बेचकर प्रॉफिट बुक कर लेगा तो ऐसा नहीं हो सकता। इसकी वजह यह है कि प्री-आईपीओ इनवेस्टर्स के लिए 6 महीने का लॉक-इन पीरियड होता है। इसका मतलब है कि लिस्टिंग गेंस के बावजूद इनवेस्टर अपने शेयर तुरंत बेच नहीं पाएगा।
