बाइक टैक्सी सर्विस देने वाली कंपनी Rapido ने फूड डिलिवरी बिजनेस में एंट्री लेने का ऐलान किया है. जुलाई से बेंगलुरू में यह सर्विस शुरू होने की उम्मदी है. दो लिस्टेड कंपनियां- Zomato और Swiggy पहले से ही इस बिजनेस में हैं. अब तक की जानकारी के मुताबिक रैपिडो का प्लान कमिशन को कम रखना है जिसके कारण फूड डिलिवरी बाजार में बड़ा टर्बुलेंस आ सकता है. इस आर्टिकल में जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर रैपिडो के लिए फूड डिलिवरी बिजनेस में सक्सेसफुल होने में क्या-क्या परेशानी आ सकती है और इसका Zomato और Swiggy पर कितना बड़ा असर होगा.
Rapido के पास 40 लाख से अधिक बाइक राइडर्स
Rapido अब तक मुख्य रूप से बाइक टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर काम कर रही है. कंपनी ने फूड डिलिवरी बिजनेस में एंट्री लेने का ऐलान किया है.इसके 40 लाख से अधिक बाइक राइडर्स का नेटवर्क है और रोजाना 33 लाख राइड्स इस ऐप के जरिए होती है. ऐसे में नए बिजनेस के लिए बड़े कैपेक्स की जरूरत नहीं होगी. रैपिडो अपने रेस्टोरेंट्स पार्टनर को फ्लैट 8-15% कमिशन चार्ज करेगी, जबकि Zomato एंड Swiggy ऐवरेज ऑर्डर वैल्यु का 21-22% तक कमिशन चार्ज करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह भी संभव है कि AOV यानी ऐवरेज ऑर्डर वैल्यु के आधार पर कमिशन फिक्स हो सकता है. 400 रुपए से कम के ऑर्डर पर 25 रुपए और इससे अधिक ऑर्डर वैल्यु होने पर फिक्स कमिशन 50 रुपए हो सकता है. बेंगलुरू से इसकी पायलट टेस्टिंग शुरू हो सकती है.
Rapido के लिए क्या पॉजिटिव और निगेटिव है?
डोमेस्टिक ब्रोकरेज फर्म इलारा कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कमिशन कम होने से राइडर्स की कमाई बढ़ सकती है जो पॉजिटिव है. हालांकि, डेडिकेटेड फ्लीट के अभाव में ऑपरेशनल चैलेंज हो सकता है. फूड डिलिवरी बाजार काफी कॉम्पिटिटिव हो गया है और 30 मिनट से कम में डिलिवरी का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है जो रैपिडो के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. इस बिजनेस में जोमैटो और स्विगी करीब एक दशक से हैं और इनके पास ऑपरेशनल एक्सपीरियंस और स्मूद फंक्शनिंग है. भारत में चेन रेस्टोरेंट्स का पेनेट्रेशन केवल 5% है जबकि डेवलप्ड इकोनॉमी में यह 25-29% तक है. ऐसे में जब पेनेट्रेशन बढ़ेगा तो TAKE RATES यानी ट्रांजैक्शन फीस में उछाल आएगा यह ओवरऑल सेक्टर के लिए पॉजिटिव होगा.
फूड डिलिवरी बिजनेस का ग्रोथ आउटलुक कैसा है?
CY18-23 के दौरान भारत में फूड डिलिवरी बिजनेस 40% CAGR से ग्रोथ कर रहा था जबकि पिछले कुछ सालों में यह ग्रोथ घटकर 15-16% पर आ गया है. 2024 के आधार पर भारत में फूड डिलिवरी का बाजार 9.5 बिलियन डॉलर का है जो मुख्य रूप से एडवर्टाइजिंग एंड प्रमोशन (A&P) पर भारी-भरकम खर्च कर बनाया गया है. FY20-22 के दौरान केवल जोमैटो ने 400 मिलियन डॉलर A&P पर खर्च किया है. ऐसे में दूसरे प्लेयर्स को आने वाले समय में एडवर्टाइजिंग एंड प्रमोशन पर कम खर्च करने की जरूरत होगी. दिसंबर 2024 में रैपिडो ने 1.1 बिलियन डॉलर की वैल्युएशन पर 29 मिलियन डॉलर जुटाया है. ऐसे में अगर यह अग्रेसिव सब्सिडी देगी तो जोमैटो और स्विगी की तरफ से प्रॉफिटैबिलिटी को मेंटेन करना थोड़ा कठिन होगा.
Zomato, Swiggy पर क्या होगा असर?
इलारा कैपिटल ने कहा कि फूड डिलिवरी बिजनेस में ONDC और OLA ने भी एंट्री ली थी लेकिन इनकी समस्या लास्ट माइल्स कनेक्टिविटी थी. रैपिडो के साथ यह प्लस प्वाइंट है क्योंकि 4 मिलियन राइडर्स का नेटवर्क है. इसकी मदद से वे Zomato/Swiggy के डेडिकेटेड राइडर्स को कॉम्पिट कर पाएंगे. हाल ही में 30 मिनट से कम डिलिवरी के लिए Swiggy BOLT और Zomato Quick की जो शुरुआत की गई है, वहां रियल टाइम में राइडर्स की कमी एक बड़ी समस्या है. इस मामले में रैपिडो को बेनिफिट है. इलारा कैपिटल ने Zomato के लिए फिलहाल टारगेट को 300 रुपए से घटाकर 282 रुपए कर दिया है.
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक्स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस द्वारा दी गई है. ये stock market news के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
