RBI बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024 के लिए सरकार को रिकॉर्ड 2,10,874 करोड़ रुपए के सरप्लस ट्रांसफर को मंजूरी दी है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में RBI ने सरकार को 87,416 करोड़ का सरप्लस ट्रांसफर किया था। यानी, ये पिछले साल की तुलना में 1.23 लाख करोड़ रुपए ज्यादा है।
सरप्लस का ये ट्रांसफर FY24 के लिए है, लेकिन यह FY25 के लिए सरकार के अकाउंट में दिखाई देगा। सरप्लस की घोषणा RBI के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 608वीं मीटिंग में की गई। ये मीटिंग 22 मई को मुंबई में गवर्नर शक्तिकांत दास की चेयरमैनशिप में की गई थी।
आय और व्यय के बीच का अंतर है सरप्लस
RBI की आय और व्यय के बीच के अंतर को सरप्लस कहते हैं। RBI रिजर्व के लिए प्रोविजन और रिटेन्ड अर्निंग के बाद सरप्लस को सरकार को ट्रांसफर करता है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 47 (अलॉकेशन ऑफ सरप्लस प्रॉफिट) के अनुसार, ये ट्रांसफर होता है।
RBI सरप्लस कैसे जनरेट करती है?
आरबीआई की इनकम:
- घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग पर ब्याज
- सर्विसेस से फीस और कमीशन
- फॉरेन एक्सचेंज ट्रांजैक्शन से प्रॉफिट
- सब्सिडियरी और एसोसिएट कंपनियों से रिटर्न
आरबीआई का व्यय:
- करेंसी नोटों की छपाई
- जमा और उधार पर ब्याज का भुगतान
- कर्मचारियों का वेतन और पेंशन
- कार्यालयों और शाखाओं का ऑपरेशनल खर्च
- अचानक पैसों की जरूरत और डेप्रिसिएशन के लिए प्रावधान