इस महीने के पहले 15 दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की कुल बिकवाली में बैंकिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के शेयरों की आधी से ज्यादा हिस्सेदारी रही है।
प्राइम इन्फोबेस के अनुसार 1 से 15 मई के बीच एफपीआई ने वित्तीय क्षेत्र के शेयरों (मुख्य रूप से बैंक शेयरों) से करीब 10,000 करोड़ रुपये निकाले जबकि आईटी शेयरों से उनकी निकासी 5,574 करोड़ रुपये रही।
पखवाड़े के दौरान एफपीआई (FPI) की कुल बिकवाली 25,278 करोड़ रुपये (3 अरब डॉलर) रही। निर्माण, तेल व गैस और एफएमसीजी अन्य क्षेत्र रहे, जहां एफपीआई ने खासी बिकवाली की।
विदेशी निवेशक निर्माण क्षेत्र के शेयरों में 3,811 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे, वहीं तेल व गैस और कंज्यूमेबल फ्यूल के शेयरों में 2,802 करोड़ रुपये और एफएमसीजी में 1,158 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। एफपीआई का बड़ा निवेश वित्तीय, तेल व गैस और आईटी शेयरों में ज्यादा रहा है। लिहाजा, एफपीआई की निकासी के दौरान इन शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली हुई।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि भारत में बड़े सूचकांकों में वित्तीय सेवाओं व आईटी का सबसे ज्यादा भारांक रहा है और एफपीआई का निवेश भी इनमें काफी रहा है। आईटी विदेश पर आधारित कारोबार है और चूंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम नरमी है। ऐसे में तकनीक क्षेत्र अभी के लिहाज से निश्चित ही निवेश वाला क्षेत्र नहीं रह गया है।
वित्तीय सेवा क्षेत्र के शेयरों की बिकवाली पर भट्ट ने कहा कि बैंकिंग शेयरों ने पिछले कुछ वर्षो में खासी बढ़ोतरी दर्ज की है। साथ ही एफपीआई ने जिन बड़े बैंकिंग शेयरों की बिकवाली की है, वहां नेतृत्व और आउटलुक में बदलाव आया है। उनके अनुसार एफपीआई देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रहे हैं। उन्होंने शायद अपना भारांक घटाया है और बाहरी या बेहतर खबरों का इंतजार कर रहे हैं।
निर्माण क्षेत्र के शेयरों की बिकवाली पर विश्लेषकों ने कहा कि इंजीनियरिंग, निर्माण और खरीद का बिलिंग चक्र चुनाव के दौर में सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। एफएमसीजी में मुनाफावसूली पर विशेषज्ञों की राय है कि विदेशी निवेशक बजट के बाद नई पोजीशन ले सकते हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में मांग सुधरने के संकेत हैं।
भट्ट ने कहा कि उनका जहां भी बड़ा निवेश है या उसमें मुनाफा कमाया है, चुनाव के दौरान वे वहां बिकवाली करना चाहते हैं और हाथ में रकम रखना चाहते हैं।
उपभोक्ता सेवा, पूंजीगत सामान और रियल्टी में विदेशी निवेशकों का निवेश सकारात्मक रहा। एफपीआई उपभोक्ता सेवा के शेयरों में 733 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे जबकि पूंजीगत सामान में 376 करोड़ रुपये के। एफपीआई ने 233 करोड़ रुपये के रियल्टी शेयरऔर 172 करोड़ रुपये के हेल्थकेयर शेयर खरीदे।
एफपीआई की यह बिकवाली फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कमी को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी के कारण हुई। चुनाव के कारण हो रहे उतारचढ़ाव और भारत से चीन को जा रहे निवेश (जहां शेयर आधे मूल्यांकन पर उपलब्ध है) का भी बिकवाली में योगदान रहा है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को इस आम चुनाव में बहुमत मिलने को संभावना बढ़ रही है और नीतिगत निरंतरता पर इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है।
हालांकि महंगाई के अनुमान से नरम आंकड़ों से अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल कम हुआ है, जिससे जोखिम वाली परिसंपत्तियों को कुछ राहत मिल सकती है।
प्राइम इन्फोबेस ने एक नोट में कहा कि 15 मई तक वित्तीय सेवाओं में सबसे ज्यादा 28.28 फीसदी (30 अप्रैल को 29.13 फीसदी था) आवंटन था। इसके बाद तेल व गैस और कंज्यूमेबल फ्यूल में 8.95 फीसदी (पहले 9.13 फीसदी) और आईटी में 8.53 फीसदी (पहले 8.5 फीसदी) का आवंटन रहा।