नई दिल्ली: शेयर बाजार में पिछले कई दिनों से गिरावट आई है। यह गिरावट सितंबर के अंत से शुरू हुई थी। इस दौरान निवेशकों के 85 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए हैं। पिछले दो महीने में ही उन्हें 40 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी थी। इस दौरान कई दिग्गज शेयरों में गिरावट आई है और वे अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे आ चुके हैं। इनमें अडानी पावर भी शामिल है। यह अपने उच्चतम स्तर से 46% नीचे आ चुका है। पिछले साल 3 जून को अडानी पावर का शेयर 896.75 रुपये के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। मंगलवार को बीएसई पर यह मामूली तेजे का साथ 483.40 रुपये पर कारोबार कर रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह शेयर अभी काफी ऊपर जा सकता है।तकनीकी रूप से देखें तो अडानी पावर का शेयर न तो ओवरसोल्ड जोन में है और न ही ओवरबॉट जोन में। इसका रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) 44.2 है। यह इंडेक्स शेयर की कीमत में बदलाव की गति और बदलाव को मापता है। इससे पता चलता है कि यह कोई शेयर ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड। इस शेयर का 5 दिन, 10 दिन, 20 दिन, 30 दिन, 50 दिन, 100 दिन, 150 दिन और 200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे कारोबार कर रहा है। मूविंग एवरेज एक निश्चित अवधि में शेयर की औसत कीमत होती है। यह शेयर के ट्रेंड को समझने में मदद करती है।
कहां तक जाएगी कीमत
ICICI सिक्योरिटीज का कहना है कि अडानी पावर के बिजली खरीद समझौतों पर कानूनी विवाद काफी हद तक सुलझ गए हैं। अडानी को मुआवजा और ऊंचे टैरिफ मिल गए हैं। ब्रोकरेज ने इसका टारगेट प्राइस 600 रुपये रखा है जो इसके मौजूदा भाव से 24% ज्यादा है। प्रमोटर फंड, कर्ज में कमी और नकदी के इस्तेमाल से अडानी पावर की बैलेंस शीट मजबूत हुई है। कंपनी बढ़ती मांग के बीच दबाव वाली कोयला परियोजनाएं खरीद रही है और उन्हें बेहतर बना रही है। साथ ही, 11 गीगावाट नई क्षमता का ऑर्डर भी दिया है।
(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, stock market news के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें। क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)
