टाटा टेक्नोलॉजीज के अमेरिका में निवेश के निर्णय में देरी हो सकती है. कंपनी के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर वारेन हैरिस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की शुल्क नीतियों को लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है जिसकी वजह से वहां निवेश के हमारे निर्णय में विलंब हो सकता है. हालांकि, अमेरिका में महत्वपूर्ण उपस्थिति वाली वैश्विक उत्पाद इंजीनियरिंग और डिजिटल सेवा कंपनी को उम्मीद है कि अगले एक या दो महीने में नीति को लेकर स्थिति कुछ स्पष्ट होगी. होली से पहले आखिरी कारोबारी सत्र के दौरान कंपनी का शेयर 0.79 % की गिरावट के साथ 637 रुपए के भाव पर बंद हुआ है.
निवेश के फैसले में देरी की संभावना
हैरिस ने डेट्रॉयट से पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम उत्तरी अमेरिका में मध्यम से दीर्घावधि को लेकर बहुत आशान्वित हैं. शुल्क जैसी चीजों पर स्पष्टता की कमी मददगार नहीं है. वे हमारे ग्राहकों के लिए मददगार नहीं हैं, और क्योंकि वे हमारे ग्राहकों के लिए मददगार नहीं हैं, इसलिए निवेश के फैसले में देरी होने की संभावना है.’’ हैरिस विभिन्न देशों के खिलाफ ट्रंप के शुल्क युद्ध के प्रभाव पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
एक या दो महीने में मिलेगी नीतिगत मामलों में स्पष्टता
हैरिस ने कहा, ‘लेकिन हम इस बारे में स्पष्ट हैं कि ट्रंप प्रशासन को बने अभी दो महीने भी नहीं हुए हैं, और इसलिए मुझे लगता है कि अगले एक या दो महीने में हम नीतिगत मामले में स्पष्टता देखने जा रहे हैं. चाहे हम शुल्क को पसंद करें या न करें, सबसे महत्वपूर्ण बात स्पष्टता की है, और एक बार जब हमारे ग्राहकों के समक्ष चीजें स्पष्ट होंगी तो वे इसके अनुसार उचित समायोजन कर सकते हैं.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या टाटा टेक्नोलॉजीज किसी भी स्थिति के लिए तैयार है, तो हैरिस ने कहा, ‘बेशक, हम हमेशा बाजार की स्थितियों पर नजर रखते हैं और पिछले 12 माह ने हमें सिखाया है कि हमें चुस्त और लचीला होना चाहिए.’
यूरोप, उत्तर अमेरिका से बहुत अलग
हैरिस ने जोर देकर कहा कि टाटा टेक्नोलॉजीज ऐसा संगठन नहीं है जो शुल्क जैसी चीजों की वकालत करता हो. उन्होंने कहा, ‘हम एक वैश्विक कंपनी हैं, और इसलिए जो कुछ भी मुक्त व्यापार का समर्थन करता है, वह कुछ ऐसा है जिससे हम पूरी तरह से जुड़े हुए हैं.’ हालांकि, उन्होंने कहा, ‘हमने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग बाजार स्थितियों से निपटना सीख लिया है. यूरोप, उत्तरी अमेरिका से बहुत अलग है. चीन में जो हो रहा है वह भारत से बहुत अलग है.’’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे में एक संगठन के रूप में हम खुद को चुस्त और लचीला बनाए रखने को प्रतिबद्ध हैं.’
