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स्टारलिंक करार से एयरटेल व जियो के निवेशकों के चमकेंगे सितारे!

भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियां भारती एयरटेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज समर्थित जियो प्लेटफॉर्म्स जल्द ही अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाली स्पेसएक्स की स्टारलिंक सैटेलाइट सेवाएं भारत में भी उपलब्ध कराएंगी। विश्लेषकों के अनुसार इस पहल से खासकर ग्रामीण इलाकों में भारत के दूरसंचार इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों के लिए यह इन दोनों शेयरों को मौजूदा गिरावट के समय में खरीदकर दीर्घावधि लाभ कमाने का अवसर हो सकता है। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि अल्पावधि में नियामकीय स्थिति स्पष्ट नहीं होने से इन शेयरों में तेजी सीमित रह सकती है।

सैमको सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक सिद्धेश मेहता ने कहा, ‘बाजार में गिरावट के दौरान लंबी अवधि के निवेशकों को इन शेयरों में खरीदारी के आकर्षक अवसर मिल सकते हैं। गिरावट के दौरान धीरे-धीरे इन शेयरों को खरीदते रहने से उनके पोर्टफोलियो का मूल्य बढ़ सकता है, खासकर दूरसंचार विस्तार, 5जी अपनाने और डिजिटल पहलों के कारण भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के लिए लगातार वृद्धि की संभावनाएं बढ़ रही हैं।’ इस सप्ताह की शुरुआत में सुनील भारती मित्तल के नेतृत्व वाली भारती एयरटेल ने भारत में अपने ग्राहकों तक स्टारलिंक की हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की थी।

मुकेश अंबानी समर्थित जियो प्लेटफॉर्म्स ने भी स्पेसएक्स के साथ इसी तरह के समझौते की घोषणा की है जिसमें खुलासा किया गया कि रिलायंस जियो न केवल जियो के रिटेल आउटलेटों पर स्टारलिंक उपकरण पेश करेगी बल्कि कस्टमर सर्विस इंस्टॉलेशन और एक्टिवेशन में मदद करने के लिए तंत्र भी बनाएगी। सिटी रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा कि ये करार घने घनत्व वाले शहरी क्षेत्रों की तुलना में कवरेज की कमी वाले दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक सेवा पहुंचाने के लिए अधिक उपयुक्त होंगे।

कीमत व नियामकीय चुनौतियां

हालांकि यह कदम भावनात्मक रूप से सकारात्मक है क्योंकि भारत में स्टारलिंक के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बजाय हालात एयरटेल और जियो के पक्ष में हैं। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि नियामकीय बाधाओं और मूल्य निर्धारण के दबाव के बीच इस घटनाक्रम पर ज्यादा खुश होना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि ये समझौते सरकार से जरूरी नियामकीय मंजूरियों पर निर्भर हैं। सरकार गोपनीयता नीतियों पर पहले ही चिंता जता चुकी की है।

उन्होंने कहा कि भारत का लागत-संवेदी बाजार चुनौती पेश करता है क्योंकि स्टारलिंक की वैश्विक कीमत स्थानीय इंटरनेट दरों की तुलना में काफी अधिक है। जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषण के अनुसार स्टारलिंक (और अन्य सैटकॉम कंपनियों) ने दुनिया भर में सैटेलाइट इंटरनेट योजनाओं की कीमत 10-500 डॉलर प्रति माह रखी हैं जिसमें हार्डवेयर के लिए एकमुश्त लागत (जो 250-380 डॉलर है) शामिल नहीं है।

ब्रोकरेज ने कहा कि यह भारतीय दूरसंचार कंपनियों के होम ब्रॉडबैंड प्लान (यानी एफटीटीएच/एफडब्ल्यूए) की तुलना में 7 से 18 गुना अधिक महंगी हैं क्योंकि इन प्लान की कीमत 5-7 डॉलर प्रति माह से शुरू होती है। विश्लेषकों ने निवेशकों को राजस्व वृद्धि, ग्राहक वृद्धि और लाभप्रदता के संदर्भ में 5जी अपनाने के प्रभाव पर बारीकी से नजर रखने का सुझाव दिया है।

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