इंडसइंड बैंक में प्रॉब्लम जल्द खत्म होती नहीं दिख रही है। डेरिवेटिव्स लैप्सेज की खबर से 11 मार्च को स्टॉक्स क्रैश कर गए। इससे पहले एसेट क्वालिटी की चिंता से शेयर गिर रहे थे। बैंक के एमडी को आरबीआई से सिर्फ एक साल का एक्सटेंशन मिला है, जबकि बोर्ड ने तीन साल के एक्सटेंशन प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 11 मार्च को करीब 3 बजे बैंक का शेयर 27.53 फीसदी गिरकर 656 रुपये पर चल रहा था। किसी बड़े बैंक के स्टॉक में एक दिन में इतनी गिरावट शायद ही कभी देखने को मिलती है। सवाल है कि क्या आपको यह स्टॉक खरीदना चाहिए?
IndusInd Bank ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया है कि उसे डेरिवेटिव ट्रेड पोर्टफोलियो में लैप्सेज मिला है, जिससे दिसंबर 2024 के बैंक के नेटवर्थ पर करीब 2.35 फीसदी का निगेटिव असर पड़ सकता है। यह लैप्सेज बैंक की आंतरिक जांच में सामने आई है। यह लैप्सेज कितना बड़ा है, इसकी जानकारी बाहरी एजेंसी की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मिल पाएगी। एनालिस्ट्स के साथ बातचीत में बैंक के मैनेजमेंट ने कहा है कि चौथी तिमाही में बैंक को इस लैप्सेज के चलते करीब 2,100 करोड़ रुपये का लॉस हो सकता है।
बैंक ने कहा है कि यह लैप्सेज अप्रैल 2024 से पहले के 5-7 सालों के दौरान का है। इंडसइंड बैंक ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो पर RBI की गाइडलाइंस के बाद 1 अप्रैल, 2024 से करेंसी डेरिवेटिव में अपनी पोजीशन खत्म कर दी थी। बैंक ने यह माना है कि आरबीआई को इस बारे में पता था। शायद यह वजह हो सकती है, जिसके चलते आरबीआई ने बैंक के मौजूदा एमडी और सीईओ को तीन साल की जगह सिर्फ एक साल का एक्सटेंशन दिया। इसका मतलब है कि बैंक के बोर्ड को जल्द नए सीईओ और एमडी की तलाश शुरू करनी पड़ेगी।
डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लैप्सेज के अमाउंट के बारे में अभी ठीक से पता नहीं है। लेकिन, यह माना जा रहा है कि चौथी तिमाही के बैंक के नतीजों में यह डेटा आ जाएगा। इस बीच, बैंक के मैनेजमेंट ने संकेत दिया है कि वह चौथी तिमाही में उसके माइक्रो-फाइनेंस बुक में जितनी प्रोविजनिंग की जरूरत होगी, वह करेगा। मैनेजमेंट ने FY26 की पहली तिमाही से प्रदर्शन में रिकवरी की उम्मीद जताई है। इसका मतलब है कि चौथी तिमाही में बैंक को लॉस होगा।
इंडसइंड बैंक की क्रेडिट ग्रोथ तीसरी तिमाही में साल दर साल आधार पर 12.2 फीसदी और तिमाही दर तिमाही आधार पर 2.7 फीसदी रही है। इसका मतलब है कि क्रेडिट ग्रोथ में कमी आई है। बैंक की डिपॉजिट ग्रोथ भी साल दर साल आधार पर 11 फीसदी रही है। क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो करीब 90 फीसदी पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि क्रेडिट ग्रोथ ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं है। बैंक के क्रेडिट में फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन की हिस्सेदारी ज्यादा है। इसका मतलब है कि आरबीआई के इंटरेस्ट रेट घटाने से इंडसइंड बैंक को ज्यादा फायदा होगा।
माइक्रो फाइनेंस लोन में स्लिपेज की वजह से चौथी तिमाही में बैंक पर दबाव दिख सकता है। चौथी तिमाही में लॉस का मतलब है कि बैंक का रिटर्न रेशियो घट जाएगा। उधर, टॉप मैनेजमेंट को लेकर अनिश्चितता और एक के बाद एक खराब खबरों के आने से इस स्टॉक की रिरेटिंग की शॉर्ट टर्म में उम्मीद नहीं है। गिरावट के बाद स्टॉक की वैल्यूएशन सही लगती है। लेकिन, इस स्टॉक को लेकर मार्केट सेंटिमेंट को देखते हुए निवेशकों को इसमें निवेश करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। हालांकि, जो इनवेस्टर्स थोड़ा रिस्क ले सकते हैं, वे हर गिरावट पर इंडसइंड के स्टॉक में निवेश बढ़ सकते हैं। लेकिन, यह निवेश मीडियम टर्म के हिसाब से करना होगा।
