शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों के जारी गिरावट के बीच इनीशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO मार्केट में हलचलें कुछ कम हो गई हैं। हालांकि Citi के इनवेस्टमेंट बैंकिंग हेड राहुल सराफ का कहना है कि 2025 में IPO मार्केट 2024 से भी बड़ा हो सकता है। 7 मार्च को मुंबई में आयोजित ‘मनीकंट्रोल ग्लोबल वेल्थ समिट’ में कहा, ” अगले 12 महीनों में करीब ₹1.5 लाख करोड़ के IPO पाइपलाइन में हैं, जो पहले से ही मंजूर किए जा चुके हैं, सॉफ्ट-मैंडेटेड हैं या जल्द ही आने वाले हैं।” हालांकि उन्होंने इसके साथ ही यह भी स्वीकार किया कि शेयर बाजार में इस समय अस्थिरता है। ऐसे में कई कंपनियां IPO की टाइमिंग पर विचार कर सकती है।
सराफ ने माना कि बाजार की मौजूदा कमजोरी के कारण कंपनियां अपने IPO को 3-6 महीने तक टालने का विकल्प अपना सकती हैं। खासतौर पर, जिन IPOs को ऑफर-फॉर-सेल (OFS) मॉडल में लाया जा रहा है। OFS का मतलब साफ है कि इन कंपनियों को अपने बिजनेस के लिए तुरंत पूंजी जुटाने की जरूरत नहीं है। ऐसे में वे बेहतर मार्केट कंडीशन का इंतजार कर सकती हैं। उन्होंने कहा, “अगर बाजार नरम है, जैसा कि आज है, तो उनके पास जरूरत पड़ने पर तीन से छह महीने तक टालने की सुविधा है।”
2024 के IPOs का हाल
पिछले साल IPO मार्केट शुरू में काफी उत्साहजनक दिखा था, लेकिन बाद में यह कई निवेशकों के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ। 2024 में आए 70% से ज्यादा IPOs इस समय अपनी लिस्टिंग प्राइस से नीचे कारोबार कर रहे हैं, जबकि 45% कंपनियों के शेयर तो अपने इश्यू प्राइस से भी नीचे चले गए हैं।
पैनल पर एक अलग बातचीत में, सराफ ने सरकारी कंपनियों की लिस्टिंग पर भी बात की। उन्होंने कहा कि सरकार को इस साल नई लिस्टिंग से ज्यादा हिस्सेदारी बिक्री पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की अधिकतर बड़ी सरकारी कंपनियां, जिन्हें महारत्न और नवरत्न का दर्जा मिला हुआ है, पहले से ही शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, “सरकार ने इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम करने का कार्यक्रम बनाया है और हमारा मानना है कि यह जारी रहेगा।” सराफ ने कहा,”आज की तारीख में बहुत अधिक बड़ी या निजी स्वामित्व वाली सरकारी कंपनियां, लिस्टिंग के लिए नहीं बची हैं।”
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