मार्केट लीडर्स का आम तौर पर प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा होता है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) इसका उदाहरण है। यह सबसे बड़ी इंडियन आईटी कंपनी है। लेकिन, टाटा समूह की कंपनी वोल्टास के मामले में यह बात नहीं दिखती है। सेल्स में अच्छी ग्रोथ के बावजूद पिछली दो तिमाहियों में वोल्टास के कूलिंग प्रोडक्ट डिविजन के प्रॉफिट मार्जिन में कमी देखने को मिली है। यह कंपनी का प्रमुख बिजनेस सेगमेंट है। उधर, वोल्टास से कम बाजार हिस्सेदारी वाली ब्लू स्टार के कूलिंग प्रोडक्ट्स बिजनेस का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ा है। ब्लू स्टार के प्रॉफिट मार्जिन में तिमाही दर तिमाही और साल दर साल दोनों ही आधार पर इजाफा देखने को मिला है।
मार्जिन के मोर्चे पर ब्लू स्टार से पिछड़ रही वोल्टास
Blue Star के प्रॉफिट मार्जिन में इम्प्रूवमेंट के साथ उसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ी है। दिसंबर तिमाही में रूम एयर कंडिशनर्स (AC) में ब्लू स्टार की हिस्सेदारी बढ़कर 14 फीसदी हो गई। वोल्टास की बाजार हिस्सेदारी रूम एयर कंडिशनर्स में 20.5 फीसदी थी। सवाल है कि आखिर Voltas और ब्लू स्टार के प्राफिट मार्जिन का ट्रेंड अलग-अलग क्यों है? प्रमोशन पर ज्यादा खर्च, न्यू मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से जुड़ी रैंप-अप कॉस्ट और कमर्शियल रेफ्रिजरेशन में इनवेंटरी लिक्विडेशन का वोल्टास के प्रॉफिट मार्जिन पर खराब असर पड़ा है। दूसरी तरफ बेहतर ऑपरेशन एफिशियंसी की वजह से ब्लू स्टार का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ा है।
विज्ञापन पर खर्च बढ़ाने से रेवेन्यू ग्रोथ बढ़ी है
वोल्टास ने एडवर्टाइजिंग और ब्रांड प्रमोशन पर खर्च बढ़ाया है। इससे रेवेन्यू ग्रोथ बेहतर रही है। इस वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में यूनिटरी कूलिंग प्रोडक्ट्स डिवीजन में वोल्टास की रेवेन्यू ग्रोथ ब्लू स्टार के मुकाबले ज्यादा रही है। इसके बावजूद ब्लू स्टार की 27 फीसदी रेवेन्यू ग्रोथ को कम नहीं कहा जा सकता। वोल्टास की रेवेन्यू ग्रोथ 37 फीसदी रही है। लेकिन, यह ग्रोथ ज्यादा निवेश से आ रही है, जिसका असर वोल्टास के प्रॉफिट मार्जिन पर पड़ रहा है। वोल्टास के मैनेजमेंट का फोकस वॉल्यूम और मार्केट लीडरशिप पर है।
लीडरशिप में बदलाव का प्रदर्शन पर नहीं पड़ेगा असर
वोल्टास अपने नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की क्षमता बढ़ा रही है। यह लोकल पार्ट्स के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। इससे कंपनी का मार्जिन बढ़ेगा। लेकिन, रूम एसी मार्केट में ज्यादा प्रतिस्पर्धा की वजह से कंपनी प्रोडक्ट्स की कीमतें नहीं बढ़ा पा रही है। उधर, ब्लू स्टार जैसी कंपनियों ने मार्केट शेयर बढ़ाने पर फोकस बढ़ाया है। वोल्टास के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ प्रदीप बख्शी पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने वोल्टास के यूनिटरी कूलिंग प्रोडक्ट डिवीजन के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाई है।
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
मुकुंदन मेनन वोल्टास में बख्शी की जगह लेंगे। उन्हें रूम एसी बिजनेस का अच्छा अनुभव है, जिससे कामकाज पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। अभी वह रूम एसी डिवीजन के हेड हैं। वोल्टास का स्टॉक 2025 में 23 फीसदी गिरा है। जब तक प्रॉफिट मार्जिन में इम्प्रूवमेंट नहीं दिखता है, वोल्टास के शेयरों की चमक बढ़ने की उम्मीद कम है। 7 मार्च को वोल्टास का स्टॉक शुरुआती कारोबार में 0.33 फीसदी चढ़कर 1,410.95 रुपये पर चल रहा था।
