Uncategorized

फरवरी में भी जारी रही विदेशी निवेशकों की बिकवाली, मगर वित्तीय शेयरों से निकासी घटी

फरवरी में विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजारों से निकासी जारी रही लेकिन गुरुवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि वित्तीय क्षेत्र के दिग्गज शेयरों में बिकवाली की रफ्तार जनवरी की भारी निकासी के मुकाबले काफी धीमी रही। हालांकि आर्थिक वृद्धि में सुस्ती की चिंता बरकरार है। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने वित्तीय क्षेत्र के शेयरों से 69.91 अरब रुपये की बिकवाली की जो अहम क्षेत्रों से हुई निकासी में सबसे ज्यादा है। हालांकि जनवरी में हुई निकासी के मुकाबले इसमें खासी कमी आई है क्योंकि तब एफपीआई ने वित्तीय क्षेत्र में 3 अरब डॉलर के शेयरों की बिक्री की थी।

विदेशी निवेशकों ने 80 करोड़ डॉलर के उपभोक्ता शेयर भी बेचे जबकि ऑटो और कैपिटल गुड्स क्षेत्र से क्रमश: 45 करोड़ डॉलर और 50 करोड़ डॉलर की निकासी हुई। फरवरी में एफपीआई ने 4 अरब डॉलर के शेयर बेचे जबकि जनवरी में 9 अरब डॉलर के शेयर बेचे थे।
फरवरी में कंज्यूमर इंडेक्स 10.6 फीसदी और ऑटो इंडेक्स 10.4 फीसदी टूटे जबकि वित्तीय क्षेत्र के सूचकांक 0.8 फीसदी नरम हुए। इस साल एफपीआई ने अब तक 15.34 अरब डॉलर के भारतीय शेयर बेचे हैं और सितंबर में बाजारों की रिकॉर्ड ऊंचाई के बाद से उनकी कुल बिकवाली अब तक 27 अरब डॉलर रही है।

घरेलू कंपनियों की आय में मंदी, आर्थिक वृद्धि में नरमी की चिंता, मुद्रास्फीति पर शुल्क के संभावित असर के कारण अमेरिका में ब्याज दरों के लंबे समय तक ऊंचे रहने की आशंका ने विदेशी रकम की वापसी को बढ़ावा दिया है। अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से निफ्टी 15 फीसदी टूटा है जिसमें फरवरी की 6 फीसदी की गिरावट शामिल है। इस तरह से यह 1996 के बाद गिरावट का सबसे लंबा मासिक सिलसिला है।

सिटी रिसर्च में भारतीय शोध के प्रमुख सुरेन्द्र गोयल और विश्लेषक विजित जैन ने कहा, निवेश के आने का अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन उभरते बाजारों (ईएम) के फंडों में भारत की स्थिति 20 वर्षों में सबसे ज्यादा कमजोर है और अधिकांश निवेशक इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि भारत में निवेश कब बढ़ाना है।उन्होंने कहा, स्थिरता या आय में सुधार का कोई भी संकेत एफपीआई के निवेश की वापसी करेगा। जेफरीज के विश्लेषकों ने कहा, केंद्रीय बैंक की नकदी सहजता और सस्ते कॉरपोरेट मूल्यांकन से अल्पावधि में बाजार में उछाल आ सकती है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता का जोखिम बना हुआ है।

Source link

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top