अमेरिका चाहता है कि भारत दोनों देशों के बीच प्रस्तावित ट्रेड डील के तहत अमेरिका से भारत में आने वाली कारों पर टैरिफ खत्म कर दे। लेकिन भारत ऐसे टैरिफ को तुरंत जीरो करने की इच्छा नहीं रखता है। हालांकि आगे टैरिफ को और कम करने पर विचार किया जा रहा है। यह बात रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सोर्सेज के हवाले से कही गई है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय ट्रेड डील के लिए होने वाली औपचारिक बातचीत में एक मुद्दा भारत में ऑटो पर हाई टैरिफ का भी रहेगा।
बता दें कि अमेरिकी अरबपति एलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला, भारतीय बाजार में एंट्री करने वाली है। भारत में इंपोर्टेड कारों पर टैक्स 110% तक है और यह दुनिया में सबसे अधिक टैक्सेज में से एक है। इसकी मस्क ने आलोचना की है। अब मस्क को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सपोर्ट मिल गया है। ट्रंप ने बार-बार भारत के हाई टैक्सेज की खिलाफत की है। मंगलवार को कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने देश के 100% से अधिक ऑटो टैरिफ की निंदा की, और बदले में कार्रवाई की धमकी दी।
भारत सरकार कर रही घरेलू मैन्युफैक्चरर्स से बातचीत
रॉयटर्स के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा, “अमेरिका का कहना है कि भारत कृषि को छोड़कर अधिकांश क्षेत्रों में टैरिफ को जीरो या न के बराबर कर दे।” एक दूसरे सूत्र ने कहा कि भारत, अमेरिका की बात सुन रहा है और कहा है कि वह लोकल इंडस्ट्रीज से परामर्श करने के बाद टैरिफ पर अपनी स्थिति के बारे में जवाब देगा। कहा जा रहा है कि हालांकि ऑटो इंपोर्ट पर टैरिफ को तुरंत जीरो करने की अमेरिकी मांगों पर भारत के नरम पड़ने की संभावना नहीं है। लेकिन देश, इंडस्ट्री को कम टैरिफ व्यवस्था के लिए तैयार करने और प्रतिस्पर्धा के लिए खुला रहने के लिए प्रेरित कर रहा है। पिछले महीने, भारत सरकार ने टैरिफ में किसी भी कटौती पर फैसला लेने और टैक्सेज को तुरंत जीरो करने पर उनकी आपत्तियों को समझने के लिए घरेलू कार मैन्युफैक्चरर्स से मुलाकात की।
क्यों टैरिफ कम करने के खिलाफ हैं घरेलू कंपनियां
भारत का कार बाजार 40 लाख व्हीकल सालाना का है। घरेलू मैन्युफैक्चरर्स पहले टैरिफ कम करने के खिलाफ तर्क दे चुके हैं। उनका कहना है कि इस तरह के कदम से इंपोर्ट सस्ता होने से लोकल मैन्युफैक्चरिंग में निवेश खत्म हो जाएगा। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों ने विशेष रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इंपोर्ट टैरिफ कम करने के खिलाफ पैरवी की है। उनका कहना है कि इससे इस नए उभरते सेक्टर को नुकसान होगा, जिसमें उन्होंने भारी निवेश किया है।
