शेयर बाजार में निवेश से मुनाफा कमाने की होड़ हमेशा से रही है, लेकिन यह बाजार अपने उतार-चढ़ाव से निवेशकों को बार-बार चौंकाता भी है. आज जिस तेजी से निवेशक पैसा बना रहे हैं, वैसा इतिहास में पहले भी कई बार हुआ है. हालांकि, बाजार की चाल को 100 फीसदी सटीकता से समझ पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है, भले ही वह दुनिया का सबसे तेज दिमाग वाला इंसान ही क्यों न हो. इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्हें दुनिया का सबसे महान वैज्ञानिक माना जाता है. वह विज्ञान और गणित में जितने निपुण थे, उतने ही बड़े बाजार में असफल निवेशक भी साबित हुए.
कैसे आया ये आइडिया?
बात 1921 की है, जब आइंस्टीन नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद दुनिया भर में प्रसिद्ध हो चुके थे. इस पुरस्कार के तहत उन्हें 1,21,572 स्वीडिश क्रोनोर (करीब 9,63,731 रुपए) की राशि मिली थी. उनकी उम्र तब 42 साल थी. इस दौरान, अलग-अलग विश्वविद्यालयों से उन्हें व्याख्यान देने के निमंत्रण मिलने लगे. शुरुआत में वह इससे जुड़े रहे, लेकिन जल्द ही उनका ध्यान शेयर बाजार की तरफ बढ़ने लगा. उन्होंने इसे समझने के लिए खुद रिसर्च करनी शुरू की और कुछ ही समय में अपनी गणना और तर्कों पर इतना विश्वास करने लगे कि उन्होंने अपनी पूरी जीवनभर की कमाई स्टॉक मार्केट में निवेश करने का फैसला कर लिया.
टूट गया आइंस्टीन का सपना
आइंस्टीन ने अपने रिसर्च के आधार पर निवेश किया, लेकिन वह बाजार की अनिश्चितताओं और जोखिमों का सही आकलन नहीं कर सके. समय के साथ उनका निवेश बढ़ता गया, लेकिन फिर आया 1929—एक ऐसा साल जिसने लाखों निवेशकों के सपनों को चकनाचूर कर दिया. इस साल अमेरिकी शेयर बाजार में भयावह गिरावट आई, जिसे “ग्रेट डिप्रेशन” के रूप में जाना जाता है. लाखों लोगों की संपत्ति मिट्टी में मिल गई और करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. इस तबाही की चपेट में आइंस्टीन भी आ गए और उन्होंने अपनी पूरी पूंजी गंवा दी.
क्या थी आइंस्टीन की सबसे बड़ी गलती?
1934 में बेंजामिन ग्राहम, जो अमेरिकी सिक्योरिटी एनालिसिस फर्म के मालिक थे, उन्होंने एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें बताया गया कि आइंस्टीन की असफलता का कारण उनका गलत स्टॉक का चयन नहीं था, बल्कि उस समय शेयर बाजार के जोखिम का सही मूल्यांकन करने के लिए उपयुक्त टूल्स की कमी थी. उस समय न तो स्टॉक्स को परखने का कोई स्पष्ट तरीका था और न ही ऐसी कोई प्रणाली थी जिससे निवेशकों को सही समय पर सूचना मिल सके. ग्राहम के अनुसार, आइंस्टीन के असफल होने के पीछे बाजार की अनिश्चितता और जानकारी की सीमित उपलब्धता मुख्य वजह थी.
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